VAISHALI : बिहार के इस जिले में लोगों ने इंसानियत की मिसाल पेश की जहां एक लड़की को अपनों ने ठुकरा दिया तब गैरों ने उसे अपनाया. बता दें एक सौतेली मां और पिता ने अपनी बेटी को जब घर से बाहर निकाला तो गांव के लोगों से उसे आसरा दिया. और उसकी शादी कराई. इस अनोखी शादी में पूरा गांव के साथ दुसरे गांव के लोग भी शामिल हुए और नव विवाहिता को बधाई दी.
यह घटना बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर प्रखंड के दिग्घी कला पूर्वी गांव में हुई है. इस शादी में पूरा गांव के साथ साथ दूसरे गांव के लोग भी शरीक हुए और नव दंपती को बधाई दी. इस शादी की चर्चा पूरे जिले में है. बताया रहा है कि नवादा में पिता और सौतेली मां ने अपनी बेटी को मारकर घर से निकाल दिया था. इसके बाद वह यहां से भटकते हुए वैशाली पहुंची.
वैशाली में वह लगभग 20 दिनों तक उसे स्थानीय लोगों ने सहारा दिया. लेकिन जब वह घर जाने को तैयार नहीं हुई तो लोगों ने अच्छा लड़का देखकर उसकी शादी करा दी. जानकारी के अनुसार युवती गुड़िया कुमारी नवादा के मझगांवा की निवासी है. और वह 10th पास है. उसने बताया उसकी सौतेली मां हमेशा मारपीट करती थी. जिसका विरोध अभी भी पिता नहीं करते थे.
गुड़िया ने बताया कि 5 जनवरी को पिता जगत किशोर यादव और सौतेली मां ने मारपीट कर घर से निकाल दिया था. घर से निकाले जाने के बाद भटकते हुए ट्रेन से पहले पटना फिर हाजीपुर पहुंची. यहां से किसी तरह दिग्घी पूर्वी गांव पहुंच गई. जहां गांव के महेंद्र दस के घर पहुंच गई और खाना और पानी मांगते हुए रोने लगी. महेंद्र दास की पत्नी ने पूछा तो वह अपनी आपबीती सुनाई. महेंद्र दास के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भटकी हुई लड़की को अपने पास रख लिया और बेटी की तरह प्यार देने लगे.