PATNA : बिहार में कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम के बीच से राज्य सरकार पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने गंभीर आरोप लगाया है. आईएमए का आरोप है कि बिहार सरकार कोरोनावायरस में भेदभाव की नीति अपना रही है. मंगलवार को आईएमए बिहार के पदाधिकारियों की आपात बैठक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शहजाद प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में आईएमए के सदस्यों ने स्वास्थ्य विभाग पर कोरोना टीकाकरण में सरकारी और निजी स्वास्थ्य कर्मियों के बीच भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया.
आईएमए का कहना है कि कोरोना के हाल में स्वास्थ्य मंत्री और प्रधान सचिव की अपील पर आईएमए ने बिहार में राज्य के सभी क्लीनिक और नर्सिंग होम को नियमित रूप से खोलने का फैसला किया लेकिन जब टीका देने की बारी आई तो केवल सरकारी और निबंधित प्राइवेट क्लीनिक को ही प्राथमिकता दी जा रही है जो सरासर गलत है. आईएमए की बैठक में पांच सूत्री मांगों के प्रस्ताव को भी पारित किया गया है. आईएमए ने 28 जुलाई 2020 को स्वास्थ विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर की तरफ से जारी आदेश को निरस्त करने की भी मांग की है.
इस आदेश में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधन नहीं कराने पर नर्सिंग होम और क्लीनिक को सील करने का निर्देश दिया गया है. आईएमए ने कहा है कि जब तक बिहार में क्लीनिकल एक्ट का प्रारूप लागू नहीं करता है तब तक छोटे और मीडियम दर्जे के क्लिनिक को को क्लीनिकल एक्ट से मुक्त रखा जाए.