Bihar News: बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. इस कानून के लागू हुए आठ वर्ष बीत गए, लेकिन आज तक शराबबंदी सफल नहीं हुई। सूबे में कहने को शराबबंदी है, लेकिन यहां हर जगह शराब मिलती है. शराबबंदी कानून को फेल कराने में सबसे बड़ी भूमिका पुलिस और उत्पाद विभाग की है. इन्हीं दोनों पर शराबबंदी कानून को सफल बनाने की जिम्मेदारी है. लेकिन उत्पाद विभाग के अधिकारी शराब माफियाओं से मिलीभगत कर धंधा करा माल कमा रहे. पुलिस का भी यही हाल है. शराब से उत्पाद विभाग और पुलिस के अधिकारी कमाई कर रहे, इसके एक-दो उदाहरण नहीं बल्कि हजारों ऐसे मामले हैं. दो उदाहरण से समझाते हैं, कैसे उत्पाद विभाग के अधिकारी शराबबंदी को फेल करा रहे.
कैमूर में चल रहा था खेल...हटाए गए अधीक्षक उत्पाद
कैमूर में शराब माफियाओं से मिलीभगत कर उत्पाद विभाग के अधिकारी खेल कर रहे थे. इसका खुलासा हुआ तो उत्पाद विभाग की भद्द पिट गई. इसके बाद कैमूर के उत्पाद अधीक्षक शैलेन्द्र कुमार को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. वहीं छापेमारी टीम को सस्पेंड कर दिया गया है. 10 दिसंबर को उत्पाद विभाग की तरफ से यह जानकारी साझा की गई है. बताया गया कि कैमूर से लगभग 14 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश सीमा की तरफ छज्जुपुर पोखड़ा, थाना-दुर्गावती, मोहनियाँ, कैमूर में मद्यनिषेध टीम पर कथित वाहन जाँच के दौरान हमला किये जाने की सूचना मिली. इसके बाद आयुक्त उत्पाद, रजनीश कुमार सिंह ने मुख्यालय स्तर से संयुक्त दल का गठन कर सम्पूर्ण मामले की गहन जाँच कराई। जाँच दल की रिपोर्ट के आलोक में प्रथम दृष्टया पाया गया कि कैमूर के मद्यनिषेध जाँच टीम द्वारा ऐसे कृत्य किये गये, जो उनके आचरण एवं कार्यकलाप को संदेह में लाता है. समीक्षा के बाद आयुक्त उत्पाद ने वहाँ के प्रभारी अधीक्षक मद्यनिषेध, शैलेन्द्र कुमार को कर्त्तव्य में लापरवाही एवं दोषी कर्मियों को बचाने तथा मुख्यालय को भ्रामक प्रतिवेदन भेजने के आरोप में हटा दिया गया है. साथ ही कैमूर के छापामारी दल में शामिल दो सहायक अवर निरीक्षक, रामानन्द प्रसाद एवं संजय कुमार सिंह तथा मद्यनिषेध सिपाही को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। इन सभी पर स्थापित मानदंडों के खिलाफ जाकर जाँच करने एवं स्थानीय तस्करों से मिली भगत का प्रथम दृष्टया आरोप है। वहीं, अधीक्षक मद्यनिषेध से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है.
बक्सर के उत्पाद अधीक्षक का शराब माफियाओं से सांठगांठ
अब इसके ठीक पहले का एक मामला जान लीजिए. यह भी कैमूर के आसपास का ही जिला है. यूपी से सटा हुआ जिला बक्सर के उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक शराब माफियाओं से मिलकर अवैध धंधा करा रहे थे. बक्सर एसपी के आदेश पर कार्रवाई हुई थी. जांच में आरोप सही साबित हुए थे. इसके बाद बक्सर के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया गया था. इसके बाद वे ड्यूटी से गायब हो गए थे. गिरफ्तारी के लिए पुलिस पीछे पड़ी हुई थी.
बता दें, बक्सर के औद्योगिक थाने की पुलिस ने वीरकुंवर सिंह सेतु से यूपी के रास्ते बक्सर की सीमा में प्रवेश करने के बाद एनएच 922 पर शराब लदे तीन वाहनों को पकड़ा था. सबसे पहले शराब से भरी एक स्कॉर्पियो पर पुलिस की नजर पड़ी थी. चालक से पूछताछ के आधार पर शराब लदी एक इंडिका कार और एक होंडा सिटी कार को जब्त कर 21 जून 2024 को औधोगिक थाने में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी. जांच में अधीक्षक उत्पाद दिलीप पाठक की शराब माफियाओं से सांठगांठ के पुख्ता प्रमाण मिले. इसके बाद तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक को गिरफ्तार करने का आदेश तत्कालीन एसपी मनीष कुमार ने दे दी. गिरफ्तारी के भय से वे मुख्यालय से भाग खड़े हुए। भगोड़े उत्पाद अधीक्षक दिलीप पाठक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही थी. इसी बीच उन्होंने पटना हाईकोर्ट से जमानत ले ली. बेल मिलने के बाद बक्सर में योगदान देने की तैयारी कर रहे थे, तभी विभाग ने उन्हें सितंबर 2024 में सस्पेंड कर दिया.आज भी सस्पेंड चल रहे हैं.
विवेकानंद की रिपोर्ट