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Bihar News: अपराधियों को मठ-मंदिरों का ट्रस्टी बना रही है बिहार सरकार, पटना हाईकोर्ट ने लगायी फटकार, दिये अहम निर्देश

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 09 Oct 2024 09:05:26 PM IST

Bihar News: अपराधियों को मठ-मंदिरों का ट्रस्टी बना रही है बिहार सरकार, पटना हाईकोर्ट ने लगायी फटकार, दिये अहम निर्देश

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PATNA: बिहार में मंदिरों औऱ मठों को संचालित करने की जिम्मेवारी अपराधिक छवि के बाहुबलियों को सौंपी जा रही है. मंदिर औऱ मठ पर बिहार सरकार की संस्था धार्मिक न्यास बोर्ड का नियंत्रण होता है. धार्मिक न्यास बोर्ड ऐसे लोगों को प्रबंधन कमेटी में शामिल कर रहा है, जिनकी छवि दागदार है. पटना हाईकोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इसका पैमाना तय कर दिया है कि कैसे लोग मंदिर संचालन कमेटी के सदस्य बनाये जा सकते हैं. 


पटना के एक प्रमुख मंदिर से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. दरअसल बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने पटना के मारूफगंज स्थित बड़ी देवी जी मंदिर के संचालन के लिए प्रबंधक न्यास समिति का गठन किया था. इसमें ऐसे लोगों को शामिल किया गया था, जिनकी छवि दागदार थी. धार्मिक न्यास बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ प्रहलाद कुमार यादव समेत अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. 


हाईकोर्ट में जस्टिस राजीव रॉय की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के बाद पटना सिटी के बड़ी देवीजी मंदिर के मौजूद प्रबंधक न्यास समिति को भंग करने और इसे फिर से गठित करने का आदेश दिया है. धार्मिक न्यास बोर्ड के साथ साथ पटना के जिलाधिकारी को इस फैसले को अमल में लाने को कहा गया है. 


अखबार में विज्ञापन निकलवायें

पटना हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि मंदिर और मठ की प्रबंधन समिति में लोगों के चयन के लिए राज्य सरकार पहले अखबारों में विज्ञापन निकलवाये. संबंधित जिले के डीएम और अनुमंडल पदाधिकारी, अखबार में प्रकाशित विज्ञापन में आए इच्छुक नागरिक के अपराधिक इतिहास की पड़ताल कर बोर्ड को अनुशंसा भेजेंगे. उसके आधार पर ही न्यासियों का चयन किया जाएगा.


दागदारों को सौपी जा रही मंदिर की जिम्मेवारी

जस्टिस राजीव रॉय की बेंच ने बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड की कार्यशैली पर नाराजगी जताई और कहा कि बोर्ड लगातार आपराधिक छवि के लोगों को न्यासी नियुक्त कर रहा है. इससे धार्मिक स्थानों की छवि खराब हो रही है. कोर्ट ने फैसला दिया है कि बोर्ड अब किसी को भी  न्यास समिति का सदस्य बनाने के लिए केवल उन्हीं नामों पर विचार करेगा, जो संबंधित जिले के डीएम और अनुमंडल पदाधिकारी भेजेंगे. इसके लिए पहले अखबार में विज्ञापन प्रकाशित कराया जायेगा. उसमें जो लोग मंदिर प्रबंधक समिति में शामिल होने के लिए इच्छुक होंगे उनके अपराधिक इतिहास की जांच पड़ताल होगी. डीएम और एसडीएम जिन लोगों का नाम भेजेंगे, उन्हीं को मंदिर या मठ के प्रबंधक समिति का सदस्य बनाना होगा.