AURGANGABAD: बिहार के औरंगाबाद जिले के छोटे से गांव शिवगंज के रहने वाले आदर्श कुमार ने कमाल कर दिया है। बिहार लोक सेवा आयोग की न्यायिक सेवा परीक्षा में 120वीं रैंक हासिल कर उन्होंने इतिहास रच दिया है। बता दें कि आदर्श के पिता अंडे और फल बेचकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। कड़ी मेहनत और लगन से आदर्श ने यह सफलता हासिल की है और परिवार और पूरे जिले का नाम रोशन किया है। बेटे की इस सफलता से मां काफी खुश हैं। इतनी बड़ी खुशी मिलने के बाद उनके आंखों से आंसू निकलने लगे।
आदर्श ने बताया कि उनके पिता ने बहुत मुश्किलों का सामना करते हुए उन्हें पढ़ाया। उन्होंने दिन-रात मेहनत करके अपनी पढ़ाई पूरी की। साल 2014 में उन्होंने बोकारो के भंडारीदह डीएवी विद्यालय से मैट्रिक पास किया और फिर 2022 में चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से बीएएलएलबी किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली में रहकर बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी की और गांव का नाम रोशन किया।
आदर्श की इस सफलता से उनके परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में खुशी का माहौल है। पूरे औरंगाबाद जिले में सिर्फ आदर्श की चर्चा हो रही है। अपनी इस सफलता का श्रेय आदर्श ने अपने माता-पिता को दिया है। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश की।
आदर्श की कहानी हमें बताती है कि अगर हम कड़ी मेहनत करें तो अपनी मंजिल हम जरूर पा सकते हैं। आदर्श का यह उदाहरण उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो कठिन परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
औरंगाबाद के शिवगंज निवासी विजय साव शिवगंज बाजार में विजय साव ठेले पर अंडा और ब्रेड बेचा करते हैं और इसी से वो अपने परिवार के 7 सदस्यों का भरण पोषण करते हैं। ऐसे में उनका पारिवारिक जीवन कितनी तंगी से गुजरा होगा यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। परेशानियों के बावजूद बच्चों की पढ़ाई में उन्होंने पैसे को आने नहीं दिया। यहां तक कि उनकी पत्नी सुनयना ने तो कई बार सेल्फ हेल्प ग्रुप से कर्ज लेकर बेटों को पैसे दिए और उनकी पढ़ाई में कोई भी आर्थिक बाधा नहीं आने दी।
कर्ज लिए जाने की बात उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों से छिपाकर रखा और इसकी भनक अपने बेटों को कभी नहीं लगने दी। सफलता के बाद उनके जज बेटे आदर्श बताते हैं कि उनके माता पिता उनके भगवान हैं और आज वो जो कुछ भी हैं उन्हीं की बदौलत हैं। उन्होंने कहा कि अपने माँ और पिता की मेहनत देखकर ही उसने उसी मेहनत और लगन से पढ़ाई की है तभी यह सफलता उन्हें हाथ लगी है।