PATNA : बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे अधिक चर्चा सरकार के शिक्षा मंत्री के तरफ से हिंदू धर्मग्रंथ रामचरित मानस को लेकर दिए गए बयान को लेकर हो रही है। जहां विपक्षी दलों द्वारा उनसे माफ़ी की मांग उठाई जा रही है। तो वहीं सत्ता पक्ष के नेतायों द्वारा इसे उनका निजी बयान बताया जा रहा है। साथ ही इसको विरोधी दल का फायदा होने वाला बयान बताया जा रहा है।
दरअसल, बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने पिछले दिनों राजद नेता और राज्य के शिक्षा मंत्री के तरफ से रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि. मुझे यह लगता है कि उनका बयान जल्दीबाजी में दिया गया बयान है। यह एक सोचा- समझ कर दिया गया बयान नहीं है। मानस सनातनों का धर्मग्रंथ है और इसके ऊपर बहुत से लोगों का विश्वाश है। आज भी हिन्दू परिवार में इसका हररोज पूजा पाठ होता है। वैसे चीजों के उपाय इस तरह का बयान देना कहीं से भी उचित नहीं हो सकता है। उन्होंने जिस पंक्ति को लेकर सवाल उठाया है वह दूसरे चीजों को लेकर कहा गया है। इसलिए पहले उनको चीजों को समझना चाहिए। उनके इस बयान से असमंजस बढ़ेगा।
इसके आगे उन्होंने कहा कि आप इसी बात को कह गए और अब यह देशव्यापी मुद्दा बन गया है तो उन्हें चीजों को समझ कर वापस से माफी मांगना चाहिए। उनका बिल्कुल भी सोच समझ कर दिया गया बयान नहीं हो सकता है एक काबिल व्यक्ति है। शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के तरफ से दिया गया बयान उनका निजी बयान है उससे हमारी पार्टी या महागठबंधन तालुकात नहीं रखती है। लेकिन, इसके बावजूद उनको इस तरह के बयान से बचना चाहिए और खुद का बयान वापस ले लेना चाहिए।
इधर, दूसरी तरफ अपने इस बयान को लेकर शिक्षा मंत्री कायम हैं, उनका कहना है कि उन्होंने कहीं भी कुछ भी गलत नहीं बोला है। माता शबरी के जूठे बेर खाने वाले राम अचानक रामचरितमानस में आते ही इतने जातिवादी कैसे हो जाते हैं? मैं उस रामचरितमानस का विरोध करता हूँ जो हमें यह कहता है की जाति विशेष को छोड़ कर बाक़ी सभी नीच हैं! जो हमें शूद्र और नारियों को ढोलक के समान पिट पिट कर साधने की शिक्षा देता है! जो हमें गुणविहीन विप्र की पूजा करने एवं गुणवान दलित, शूद्र को नीच समझ दुत्कारने की शिक्षा देता है। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा है कि, यदि इसको लेकर मुझे अपना मंत्री पद से हाथ धोना पड़े तो भी मुझे परवाह नहीं है।