बिहार के ढ़ाई हजार मदरसों में फर्जीवाड़े की जांच के आदेश: फर्जी मदरसों को सरकार दे रही मोटी मदद, हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

बिहार के ढ़ाई हजार मदरसों में फर्जीवाड़े की जांच के आदेश: फर्जी मदरसों को सरकार दे रही मोटी मदद, हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

PATNA: बिहार में फर्जी मदरसों को सरकारी खजाने से मोटी राशि दी जा रही है.  ये खेल लंबे समय से चल रहा था. मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में मदरसों के फर्जीवाडे का खेल सामने आया. इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार के पैसे पर चल रहे सूबे के लगभग ढ़ाई हजार मदरसों की जांच के आदेश दिये हैं.


मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को कहा कि वह 29 नवंबर, 1980 के बाद के उन सारे मदरसों की जांच करें जिसे राज्य सरकार से अनुदान मिल रहा है. ऐसे 2459 मदरसे हैं. पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को उन सभी मदरसों की जांच करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव तुरंत सूबे के सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर मदरसों की जांच करने की प्रक्रिया शुरू करें. हाईकोर्ट ने सरकार को ये भी कहा है कि पह जांच पूरी होने तक 609 मदरसों को अनुदान राशि नहीं दे. वहीं उनकी मान्यता को लेकर दर्ज किये गये एफआईआर पर पुलिस को जल्द जांच पूरी कर लेने का निर्देश देते हुए डीजीपी को जवाब देने को कहा गया है.


 

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने ये आदेश दिया. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मो. अलाउद्दीन बिस्मिल की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया. याचिका दार करने वाले के वकीलराशिद इजहार का कहना था कि फर्जी कागजात के आधार पर खुले मदसरों को मोटा अनुदान दिया जा रहा है. इसके बाद ही कोर्ट ने शिक्षा विभाग को सभी 2459 मदसरों की जांच करने का आदेश दिया. कोर्ट ने मदरसा कानून के तहत उनके संसाधन समेत दूसरे पहलुओं की विस्तृत जांच करने का आदेश दिया. जांच रिपोर्ट 14 फरवरी से पहले सौंपने को कहा गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी.


क्या है मामला?


ये याचिका सीतामढ़ी के मो. अलाउद्दीन बिस्मिल ने पटना हाईकोर्ट में दायर किया है. इसमें बिहार  के मदरसों में सरकारी अनुदान लेकर लूट खसोट करने का आरोप लगाया गया है. बिस्मिल के वकील राशिद इजहार ने कोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक मो. तस्नीमुर रहमान ने सरकारी अनुदान लेने वाले सीतामढ़ी के मदरसों की जांच रिपोर्ट दी है. इसमें कहा गया कि फर्जी कागजात पर जिले के करीब 88 मदरसों ने सरकारी अनुदान लिया है. इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही है.


वहीं, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर बताया है कि दूसरे जिलों में सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले 609 मदरसों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी ने खगड़िया, बांका, बेगूसराय, कटिहार, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, शिवहर, सीवान, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, पटना, पूर्णिया, पश्चिमी चंपारण, रोहतास, शेखपुरा, समस्तीपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, सारण, सुपौल, दरभंगा, वैशाली अररिया, औरंगाबाद, गया और गोपालगंज जिलों के मदरसों की जांच शुरू करने का निर्देश दिया.


शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि तय समय में जांच रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजे जाने पर इन जिलों के डीएम को स्मारपत्र भी दिया गया. लेकिन, सिर्फ सीतामढ़ी से रिपोर्ट आई. इसमें जिले के 88 मदरसों को फर्जीवाड़े का दोषी पाया गया और उन्हें दिये जाने वाला अनुदान रद्द करने की रिपोर्ट दी गई है. हाईकोर्ट ने दूसरे जिलों से रिपोर्ट नहीं आने पर नाराजगी जताते हुए बिहार के 2 हजार 459 मदरसों की जांच का आदेश दिया है.