दाग छिपाने का ये तरीका अच्छा है नीतीश जी: हर रोज कोरोना टेस्ट की संख्या कम करती जा रही है सरकार, आज औऱ कम हुए टेस्टिंग

दाग छिपाने का ये तरीका अच्छा है नीतीश जी: हर रोज कोरोना टेस्ट की संख्या कम करती जा रही है सरकार, आज औऱ कम हुए टेस्टिंग

PATNA : बिहार में कोरोना की भयावह स्थिति को छिपाने का सरकार ने अच्छा तरीका निकाला है. हर रोज कोरोना टेस्ट की संख्या कम होती जा रही है. रविवार को सूबे में कोरोना टेस्ट की संख्या घटाकर 89 हजार 393 कर दी गयी. सरकार इसका भी कोई आंकड़ा नहीं दे रही है कि इसमें RT-PCR टेस्ट की संख्या कितनी है. हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि बमुश्किल 30 फीसदी टेस्ट ही RT-PCR से हो रहे हैं. जाहिर है, न होगी जांच औऱ ना कोरोना की भयावहता का पता चलेगा.


हर रोज कम हो रही टेस्ट की संख्या
बिहार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक रविवार को सूबे में सिर्फ 89 हजार 393 टेस्ट किये गये. पिछले 24 घंटे में बिहार में 13 हजार 534 कोरोना मरीज पाये गये. इससे पहले शनिवार को बिहार में कुल 95,686 लोगों की जांच हुई थी. यानि शनिवार की तुलना में रविवार को टेस्ट की संख्या 6 हजार से ज्यादा कम हो गये. उससे भी पहले शुक्रवार यानि 30 अप्रैल को 98 हजार 169 कोरोना टेस्ट किये गये थे. कुल मिलाकर कहें तो हर रोज कोरोना टेस्ट की संख्या कम होती जा रही है.


देखिये पिछले 5 दिनों में हर रोज कितने टेस्ट हुए
28 अप्रैल- 1,03,895 टेस्ट

29 अप्रैल-97,972 टेस्ट

30 अप्रैल-98169 टेस्ट

1 मई-95,686 टेस्ट

2 मई-89,393 टेस्ट


बिहार में कोरोना टेस्टिंग की बदतर स्थिति
विशेषज्ञ बता चुके हैं कि कोरोना की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी कदम कोरोना की जांच करना है. लेकिन बिहार में कोरोना की जांच बढ़ाने के बजाय औऱ कम होती जा रही है. ये स्थिति तब है जब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार बार ये एलान कर चुके हैं कि कोरोना टेस्ट की तादाद बढ़ायी जायेगी. लेकिन शायद सरकार को कोरोना की भयावह स्थिति पर पर्दा डालने के लिए यही सबसे बेहतर उपाय नजर आ रहा है.


RT-PCR टेस्ट नहीं, रिपोर्ट 15 दिन में
बड़ी बात ये भी है कि बिहार में RT-PCR टेस्ट की तादाद बेहद कम है. सरकार ये बताने को तैयार नहीं है कि उसने हर दिन कितने RT-PCR टेस्ट किये. जबकि कोरोना जांच का सबसे प्रमाणिक तरीका RT-PCR टेस्ट ही माना जाता है. सरकार ज्यादा से ज्यादा एंटीजेन टेस्ट करने में लगी है जिसके परिणाम 60 फीसदी तक गलत पाये जा रहे हैं. करीब 10 दिन पहले राज्य सरकार ने एक दफे ये बताया था कि सूबे में हो रहे कोरोना टेस्ट में से कितने RT-PCR टेस्ट हैं. उस आंकड़े से पता चला कि बिहार में RT-PCR टेस्ट की संख्या सिर्फ 35 फीसदी है.


उधर जांच रिपोर्ट आने में 10 दिन से भी ज्यादा समय लग जा रहा है. बिहार के कई ऐसे जिले हैं जहां 15 दिन में भी जांच रिपोर्ट नहीं आती. जब तक जांच रिपोर्ट आती है तब तक मरीज न जाने कितने लोगों में वायरस फैला चुका होता है.