बिहार में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए आज से नॉमिनेशन, एक पर कुशवाहा तो दूसरा कौन ?

बिहार में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए आज से नॉमिनेशन, एक पर कुशवाहा तो दूसरा कौन ?

PATNA : बिहार की खाली हुई 2 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इन दोनों सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त है। जबकि नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 27 अगस्त है। इस बार बिहार के अलावा असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और त्रिपुरा, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना और ओडिशा में भी राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं।  


दरअसल, राज्यसभा की कुल 12 रिक्त सीटों में से असम, बिहार और महाराष्ट्र से 2-2 सीटें खाली हैं। इसके अलावा हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना और ओडिशा से 1-1 सीट खाली है। ताजा समीकरण के अनुसार बीजेपी और एनडीए को 12 में से 11 सीटें मिल सकती हैं, वहीं एक सीट कांग्रेस को तेलंगाना में मिल सकती है। इन 12 रिक्त सीटों के लिए 3 सितंबर को चुनाव होंगे। 


जानकारी हो कि, वर्तमान में राज्यसभा में बिहार से कुल 16 सांसद का कोटा है। इसमें से दो सीट अभी खाली हो गई। यानी कि अभी 14 सांसद हैं। जिसमें से एनडीए के पास 8 सीट है, जबकि इंडिया ब्लॉक के पास 6 सीटें हैं। ये दो सीट एनडीए को और मिल जाएगी तो एनडीए की संख्या बढ़कर 10 हो जाएगी। जबकि दल के हिसाब से बात करें तो बिहार में अभी बीजेपी-जेडीयू के 4-4, आरजेडी के 5 और एक कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं। 


वहीं, इस बार के समीकरण के हिसाब से यह तय है कि बिहार में दोनों सीट एनडीए के खाते में जाएगी। जिसमें एक नाम उपेंद्र कुशवाहा का नाम फाइनल माना जा रहा है। बीजेपी नेताओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तरफ से उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर सहमति है। सम्राट चौधरी जब प्रदेश अध्यक्ष थे, उस समय उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा के नाम की घोषणा भी की थी। हालांकि अभी भी आधिकारिक रूप से इसकी  घोषणा होना बाकी है। 


उधर, मीसा भारती का जो सीट खाली हुई है, उसका 4 साल समय बचा हुआ है। जबकि वहीं, विवेक ठाकुर की सीट का केवल 2 साल का समय बचा हुआ है। दूसरी सीट के लिए ऐसे कई दावेदार के नाम की चर्चा है।  बीजेपी के अंदर भी कई नाम लगातार चर्चा में है, जिसमें  पहला नाम आरके सिंह है है तो दूसरा नाम   ऋतुराज का है। चर्चा है कि यदि उपेंद्र कुशवाहा का नाम तय होता है तो फिर सवर्ण कोटे से बीजेपी किसी को राज्यसभा भेज सकती है। माना जा रहा है कि एनडीए के तरफ से जिसका भी नाम तय होगा, 2025 विधानसभा चुनाव के जातीय और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखा जाएगा।