PATNA : कोरोना महामारी के बीच राज्य के बाहर से लौट रहे प्रवासियों के नाम पर बिहार में क्वॉरेंटाइन घोटाला शुरू हो गया है. भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारी 1 प्रवासी के नाम पर 24 हजार रुपए की निकासी कर घोटाला कर रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार के ऊपर यह सनसनीखेज आरोप लगाया है. तेजस्वी यादव ने कहा है कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को रखे जाने के नाम पर उनको भोजन और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के नाम पर प्रति व्यक्ति 24 हजार रुपए की निकासी की जा रही है. लेकिन क्वॉरेंटाइन सेंटर से मजदूरों के भागते ही यह राशि भ्रष्टाचारियों की जेब में चली जा रही है.
लूट का सिलसिला शुरू
तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया है कि बिहार में प्रवासी मजदूरों के बहाने सरकारी खजाने से लूट का सिलसिला शुरू हो चुका है. सरकार यह कह रही है कि मजदूरों को 21 दिन तक क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने के बाद खर्च के साथ-साथ 500 रुपए अतिरिक्त राशि के तौर पर दी जाएगी .लेकिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में इंतजाम के कारण प्रवासी वहां से लगातार भाग रहे हैं और सरकार की तरफ से क्वॉरेंटाइ सेंटर में प्रति व्यक्ति खर्च किए जाने के लिए तय की गई 24 हजार की राशि को बिहार में सुशासन के भ्रष्टाचारी डकार रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कहा है क्वॉरेंटाइन सेंटर में खाने-पीने साफ-सफाई शौचालय और बाकी अन्य सुविधाएं नहीं है.
मजदूरों को भागने पर मजबूर किया जा रहा
तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार के स्थानीय अधिकारी प्रवासी मजदूरों को इस बात के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर मजबूर कर रहे हैं कि वह क्वॉरेंटाइन सेंटर से भाग जाए क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव हो रहा है और लगातार वहां से लोग भाग रहे हैं. तेजस्वी ने कहा कि आसपास मीडिया के प्रतिबंध को लेकर भी नीतीश सरकार पर निशाना साधा है कि मीडिया का प्रवेश वर्जित किया गया है ताकि सरकार का झूठ लूट कुशासन और अव्यवस्था के साथ-साथ भ्रष्टाचार उजागर ना हो पाए सरकार कुछ अच्छा करती तो मीडिया उसे जरूर दिखाता लेकिन अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं तेजस्वी ने बिहार में क्वॉरेंटाइन घोटाले को लेकर जो आरोप लगाए हैं जाहिर है उसे लेकर आगे आने वाले वक्त में सियासत तेज होगी. आपको बता दे कि बिहार के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में लगातार कुव्यवस्था की तस्वीरें सामने आ रही हैं. यहां पर रह रहे मजदूरों का कहना है कि वहां उन्हें खाने-पीने और बाकी अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से नहीं मिल रही हैं.