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1st Bihar Published by: Updated Wed, 08 Dec 2021 07:04:40 AM IST
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PATNA : कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को लेकर एक तरफ जहां पूरी दुनिया में दहशत है, केंद्र सरकार इसे लेकर सतर्कता बरतने का निर्देश जारी कर चुका है तो वहीं बिहार में इस नए वेरिएंट से मुकाबले के लिए जमीनी तैयारी कैसी है इसका अंदाजा लगाना है तो ओमीक्रोन की जांच की स्थिति से लगाया जा सकता है। ओमीक्रोन की जांच के लिए मरीजों का सैंपल को जिनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया से गुजारना पड़ता है। बिहार में इस तरह की जांच की सुविधा केवल पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में उपलब्ध है। पटना के आईजीआईएमएस में जिनोम सीक्वेंसिंग लैब बनाई गई है लेकिन फिलहाल यहां इसकी जांच प्रक्रिया बंद है। ऐसे वक्त में जब दुनिया के तमाम देशों ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर सतर्क है, राज्य सरकार और आईजीआईएमएस की लापरवाही सामने आई है। आईजीआईएमएस लैब में जिनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया क्यों नहीं हो पा रही इसका खुलासा हुआ है।
लैब बना सफेद हाथी
दरअसल पटना के आईजीआईएमएस में जिनोम सीक्वेंसिंग लैब तो है लेकिन यहां इस तरह की टेस्टिंग के लिए री-एजेंट उपलब्ध नहीं है। री-एजेंट उपलब्ध कराने को लेकर आईजीआईएमएस प्रशासन की लापरवाही भी सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों ने जब विदेश से लौटे लोगों का सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजने का प्रयास किया तो री-एजेंट की उपलब्धता नहीं होने की बात सामने आई। आनन-फानन में री-एजेंट की खरीद के लिए अब राशि उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। री-एजेंट की खरीद में तकरीबन 15 दिनों का वक्त लगने की संभावना है। इसके बाद ही जिनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी और ओमिक्रोन का टेस्ट किया जा सकेगा। आपको बता दें कि जिनोम सीक्वेंसिंग किसी वायरस का बायोडाटा होता है। वायरस किस तरह का है, उसकी क्या प्रकृति है इस सारी बातों की जानकारी जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए ही सामने आ पाती है लेकिन टेस्टिंग के लिए री-एजेंट उपलब्ध नहीं रहने से फिलहाल जांच कर पाना नामुमकिन है।
मंत्री जी का दावा
कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की जांच की सुविधा एक तरफ बिहार में उपलब्ध नहीं हो ना बड़ी लापरवाही माना जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का दावा आपको हैरत में डाल सकता है। ओमीक्रोन को लेकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने यह दावा किया है कि बिहार में कोरोना के इस नए वेरिएंट का एक भी मरीज नहीं मिला है जबकि हकीकत यह है कि विदेश से आए ज्यादातर लोगों का जिनोम सीक्वेंसिंग नहीं कराया गया है। जिन लोगों की जांच कराई दी गई उनके रिपोर्ट आने में महीने भर से ज्यादा का वक्त लग गया। आपको याद दिला दें कि मोतिहारी के जिस युवक को कोरोना संक्रमित पाया गया था विदेश से लौटने के बाद उसका सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया। जिनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट आने में तकरीबन महीने भर का वक्त लगा और अब उससे डेल्टा वैरिएंट से ग्रसित होने की पुष्टि हुई है।