PATNA : बिहार में हर दिन खुल रहे प्राइवेट अस्पताल और रजिस्ट्रेशन के बगैर उनके संचालन को लेकर पटना हाईकोर्ट में गंभीरता दिखाई है। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उन प्राइवेट अस्पतालों की लिस्ट तलब की है जो रजिस्ट्रेशन के बगैर चल रहे हैं। हाईकोर्ट ने पूछा है कि ऐसे कितने अस्पतालों और क्लिनिको के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है जो रजिस्ट्रेशन के बगैर चल रहे हैं। इसका ब्योरा भी पटना हाईकोर्ट ने तलब किया है।
पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार की एकलपीठ ने संतोष ठाकुर उर्फ देवेंद्र ठाकुर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जिलावार गैरनिबंधित क्लीनिकों के आंकड़े ही नहीं बल्कि उन पर की गई कानूनी कार्रवाई का भी ब्योरा तलब किया है।
पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में तल्ख टिपण्णी करते हुए कहा है कि राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर बनाना राज्य सरकार का दायित्व है। निजी क्लीनिकों एवं अस्पतालों के जरिए हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ सेवा मिले इसे सुनिश्चित करने और उन निजी अस्पतालों और क्लीनिकों पर नियंत्रण के लिए ही राज्य में 2007 से ही क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट कानून लागू है। लेकिन कोर्ट के सामने ऐसे मामले आ रहे हैं जिनमें अनाधिकृत डॉक्टर जिन्हें झोला छाप डॉक्टर भी कहा जाता है द्वारा क्लीनिक चलाने की बात उजागर हो रही है।