PATNA : बिहार में चौथे कृषि रोड मैप 2023 की शुरूआत हो गई है। राजधानी के बापू सभागार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीप प्रज्जवलित कर इसका शुभारंभ किया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अरलेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावे,कृषि,सहकारिता, उद्योग, वन एवं पर्यावरण समेत इससे जुड़े 12 विभागों के मंत्री,अफसर मौजूद हैं। इसके अलावे बड़ी संख्या में किसान,कृषि वैज्ञानिक भी इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।
दरअसल, बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य है। राज्य में आज भी 74 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है। राज्य के जीडीपी में कृषि का करीब 19 से 20% योगदान। पशुधन का करीब 6% योगदान है। सबको देखते हुए नीतीश ने कृषि रोड मैप लाने का फैसला लिया।
मालूम हो कि, नीतीश सरकार ने पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की उसके बाद चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली। पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश हुई थी। चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली। पहला कृषि रोडमैप का बजट आकार बेहद छोटा था।
वहीं, दूसरा कृषि रोड मैप 2012 में लागू किया गया। उसके लिए 2011 में नीतीश सरकार ने 18 विभागों को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया था।बिहार को दूसरे किसी रोड मैप में कई पुरस्कार भी मिले। 2012 में चावल उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला। 2013 में गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार मिला। 2016 में मक्का के उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार।
उसके बाद तीसरा कृषि रोडमैप 2017 में लागू किया गया। कोरोना काल के कारण रोडमैप को एक साल बढ़ाया गया। तीसरे कृषि रोड मैप में ऑर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया। किसानों को खेतों तक बिजली पहुंचाने में सरकार सफल रही। इसमें बिहार में हरित पट्टी बढ़ाने पर जोर दिया गया। राज्य में फिलहाल 15 प्रतिशत हरित पट्टी है। हालांकि, सरकार ने हर खेत तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा । अबतक हर खेत तक पानी पहुंचने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। 2025 तक हर खेत तक पानी पहुंचाने का वादा किया गया।