Scam: बिहार में एक चुनावकर्मी ने डेली खाया 10 प्लेट खाना, चाय-पानी का बिल आया 18 करोड़

Scam: बिहार में एक चुनावकर्मी ने डेली खाया 10 प्लेट खाना, चाय-पानी का बिल आया 18 करोड़

PATNA : बिहार हेमशा से ही अपने किसी न किसी अलग मामले से सुर्ख़ियों में बना रहता है। अब एक ताजा मामला लोकसभा से जुड़ा हुआ सामने आया है। खबर यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में एक चुनावकर्मी पर रोजाना 10 प्लेट खाना खाया है। अब यह मामला सामने आने के बाद हर कोई दंग रह गया है कि आखिर यह कैसे संभव है ?


दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में खर्च के हिसाब-किताब के दौरान चौंकाने वाले मामले उजागर हुए हैं। भोजन-नाश्ता आदि की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों ने जिला प्रशासन को जो विपत्र सौंपा है, उसके मुताबिक एक चुनावकर्मी ने हर रोज औसतन 10 प्लेट भोजन किया। चुनाव में पटना जिले में करीब 20 हजार कर्मियों की ड्यूटी लगी थी। एजेंसियों ने जो विपत्र सौंपा है, उसके मुताबिक भोजन, नाश्ता, पानी और चाय पर 18 करोड़ रुपए खर्च हुए। लेकिन जब प्रशासन ने इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि भोजन पर 2.49 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।


जानकारी के मुताबिक पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर एडीएम आपूर्ति के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने इस मामले की जांच की है। चुनाव के दौरान भोजन-नाश्ता आदि की तीन कंपनियों ने आपूर्ति की थी। जांच करने वाले अधिकारियों की मानें तो मेन बिल से  लगभग 10 गुना अधिक खर्च का ब्योरा दिया गया। कंपनियों ने दावा किया कि 18 करोड़ खर्च हुए हैं लेकिन जब जांच टीम ने वाउचर और चुनाव कार्य स्थल का ब्योरा लिया तो भौंचक रह गए। कंपनियों के वाउचर के अनुसार एक चुनावकर्मी को 10 प्लेट हर रोज भोजन कराया गया है। गहराई से इसकी छानबीन की गई तो पता चला कि बिल वाउचर में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है।


यही नहीं बिल वाउचर की जांच में एक और चौकाने वाला तथ्य सामने आया। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के मुताबिक जांच अधिकारियों ने यह पाया है कि जहां पुलिसकर्मी का आवासन स्थल था, वहां एक हॉल में 100 के बैठने की व्यवस्था की गई थी। ऐसे हॉल में 80 से 90 पंखे और बल्ब लगाने का दावा कर बिल दिया गया है। इससे ही जांच करने वाले अधिकारियों को गड़बडी की आशंका हुई थी। 


इसके बाद संबंधित विधानसभा क्षेत्र के सहायक निर्वाचन अधिकारियों को पटना बुलाकर बिल विपत्रों की जांच कराई गई। उसके बाद पता चला कि चुनाव के दौरान जहां पुलिसवाले ठहरे हुए थे वहां इतनी संख्या में पंखा और बल्ब लगाया ही नहीं जा सकता था। इसके बाद कंपनियों की ओर से दिए गए बिल विपत्रों का सही तरीके से सत्यापन कर शेष बिल को फर्जी घोषित कर दिया गया।