PATNA : बिहार में डेंगू की महामारी ने हालात भयावह बना दिया है. राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में डेंगू को लेकर अलर्ट जारी किया जा चुका है. हालात ऐसे हैं कि कोरोना से ज्यादा बड़ी महामारी के तौर पर इस वक्त डेंगू को देखा जा रहा है. गुरुवार तक अकेले पटना में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1631 डेंगू मरीजों की पहचान की गई है, जबकि राज्य भर में यह आंकड़ा 27 सौ के करीब है. पटना के अलावे नालंदा में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 205, वैशाली में 48, गया में 34, पूर्वी चंपारण में 32 डेंगू मरीजों की पहचान की गई है.
एक तरफ डेंगू की वजह से लोग परेशान हैं, लगातार अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार अब तक जागरूकता के सहारे ही बैठी हुई है. नगर विकास एवं आवास विभाग समेत अन्य विभागों को जो इतिहास उठाए जाने चाहिए वह अब तक जमीन पर होता नहीं दिख रहा है. पटना में फागिंग का काम भी नहीं चल रहा है. डेंगू पर नियंत्रण के लिए जिस स्तर पर सरकारी प्रयास की आवश्यकता है वह नजर नहीं आ रहा है. सरकार नगर निगम चुनाव स्थगित होने और दशहरा पूजा की प्रशासनिक गतिविधियों से अब तक बाहर नहीं निकल पाई है और यही वजह है कि पटना में डेंगू भयावह रूप अख्तियार करता जा रहा है.
पटना नगर निगम पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है. निगम की तरफ से डेंगू की रोकथाम को लेकर कोई खास पहल नहीं दिख रही है. पटना में नगर निगम के अंदर हुई हड़ताल को भी डेंगू संक्रमण फैलने के पीछे एक बड़ी वजह माना जा रहा है. पटना में 2 हफ्ते तक जिस तरह कचरा का उठाव नहीं हुआ उसने डेंगू को कहीं ना कहीं फैलने में मदद की. इसके अलावा अभी भी फागिंग समेत अन्य तरह के उपाय नहीं दिख रहे हैं. राजधानी पटना में हालात ऐसे हैं कि हर मोहल्ले के अंदर डेंगू महामारी के तौर पर फैला हुआ है. कई अपार्टमेंट ऐसे हैं जहां दर्जनों लोग डेंगू से संक्रमित हैं. अस्पतालों में सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या डेंगू का इलाज कराने वालों की है.