KHAGARIA: बिहार के डिप्टी सीएम और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव सरकारी स्वास्थ्य सेवा को सुधारने का दावा करते हैं। 60 दिनों के अंदर बिहार में स्वास्थ्य सेवा को सुधार देने का लक्ष्य तय करने वाले तेजस्वी यादव को शायद यह मालूम नहीं कि महकमे में किस तरह की अराजकता व्याप्त है। खगड़िया से बंध्याकरण शिविर के दौरान जो तस्वीर सामने आई है वह हैरान कर देने वाली है। यहां एक बंध्याकरण शिविर के दौरान सर्जरी के लिए पहुंची 30 महिलाओं को एक के बाद एक सर्जरी करते हुए जमीन पर लिटा दिया गया। इनकी हालत भेड़ बकरियों जैसी दिख रही थी।
दरअसल, यह पूरा मामला खगड़िया जिले के परबत्ता से सामने आया है। परबत्ता सामुदायिक केंद्र में शुक्रवार को एक बंध्याकरण शिविर का आयोजन किया गया। यहां आईं महिलाओं को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई गई और महिलाओं को बेहोशी का इंजेक्शन देने के बाद ऑपरेशन थिएटर के बाहर जमीन पर ही सुला दिया गया। लाइन में सोई पड़ी इन महिलाओं की फिक्र ना तो बंध्याकरण शिविर के आयोजकों की थी और ना ही डॉक्टरों को। बताया जा रहा है कि बंध्याकरण अभियान के तहत सरकार की तरफ से कई एजेंसियों को राशि मिलती है और टारगेट पूरा करने के लिए महिलाओं को भेड़ बकरियों की तरह इस शिविर में सर्जरी के लिए बुला लिया गया और जमीन पर लिटा कर रखा गया।
इस दौरान बंध्याकरण शिविर के आयोजन में जुटे एजेंसी के लोगों से मीडिया ने सवाल भी किया लेकिन जो जवाब सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला था। उनका कहना था कि वार्ड दूर होने की वजह से महिलाओं को जमीन पर लिटा कर रखा गया है। एक तरफ बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए समय सीमा तय करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बंध्याकरण शिविर के दौरान जो तस्वीरें खगड़िया से सामने आई हैं वह तेजस्वी यादव के दावों से बिल्कुल उलट है। आपको बता दें कि इसी तरह मुजफ्फरपुर में भी मोतियाबिंद सर्जरी के शिविर के दौरान लापरवाही बरतने का मामला सामने आया था। इस मामले में अस्पताल से लेकर सरकार की फजीहत हुई थी लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर इस तरह की लापरवाही और लूट देखने को मिल रही है।