बिहार में एम्बुलेंस से ढोया जा रहा है सड़कों की मरम्मत का सामान, मरीज की जगह मजदूर होते हैं सवार

बिहार में एम्बुलेंस से ढोया जा रहा है सड़कों की मरम्मत का सामान, मरीज की जगह मजदूर होते हैं सवार

SUPAUL: बिहार में मरीजों की जगह एम्बुलेंस से बालू-सीमेंट,पेंट और मजदूर ढोए जा रहे हैं। सड़क मरम्मत के काम में पथ निर्माण विभाग ने एम्बुलेंस को लगाया है। हालांकि एंबुलेंस की जबावदेही से विभाग ने पल्ला झाड़ लिया है।


दरअसल पथ निर्माण विभाग के नाम की एंबुलेंस पर पेंट और सड़क मरम्मत का सामान लदा हुआ था। सिंहेश्वर-सुपौल SH-66 के कुम्हैट पुल पर कुछ मजदूर पिलर की पेंटिंग करते दिखे थे। उस वक्त पेंट और मरम्मत की सामग्रियां एंबुलेंस में रखी हुई थी। जब पिलर की पेंटिग कर रहे मजदूरों से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने किसी तरह का जवाब नहीं दिया लेकिन एम्बुलेंस के ड्राइवर ने यह बताया कि पिछले दो महीने में उसने अब तक किसी भी घायल व्यक्ति को इस एंबुलेंस से अस्पताल नहीं पहुंचाया है। 


ऐसे में यह समझा जा सकता है कि जिस मकसद को लेकर एम्बुलेंस की खरीदारी की गयी थी उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है। खुद एम्बुलेंस का ड्राइवर ही बता रहा है कि उसने एम्बुलेंस से अभी तक किसी भी व्यक्ति को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया है। एम्बुलेंस के ड्राइवर की बात हैरान करने वाली है।    


इस संबंध में जब पथ निर्माण विभाग के ईई योगेंद्र कुमार से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा दी गई एंबुलेंस एजेंसी के पास रहती है। सड़क हादसे में घायल लोगों को नियमित रूप से इसी एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। जबकि सड़क मरम्मत के लिए अलग तरह की एंबुलेंस होती है।


बता दें कि सड़कों पर होने वाले हादसे में घायल को तत्काल हॉस्पिटल तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया कराई गयी है। सुपौल जिले में पथ निर्माण विभाग की 3 एंबुलेंस है। लेकिन इन एंबुलेंस से आज तक किसी घायल को अस्पताल नहीं ले जाया गया है। पथ निर्माण विभाग एम्बुलेंस नहीं चलाता है बल्कि तीन एंबुलेंस को विभाग ने एजेंसी को दे दिया है। उदयकांत झा कंस्ट्रक्शन कंपनी, केडी कंपनी और साईं इंडिकोम कंपनी को यह एम्बुलेंस उपलब्ध कराया गया है। अब इन एम्बुलेंस को सड़कों की मरम्मत के काम में लगा दिया गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस एम्बुलेंस के लिए किस नंबर पर कॉल करेंगे यह लोगों को भी पता नहीं है और ना ही अस्पताल प्रशासन को ही इसकी जानकारी है।


केडी कंपनी की एम्बुलेंस के द्वारा सड़कों को पेंट करने का सामान और मजदूरों को ढोने का काम किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि पथ निर्माण विभाग अभी भी यह दावा कर रहा है कि उनके विभाग से मुहैया कराई गई एंबुलेंस से सड़क हादसे में घायल लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। 


डीएचएस के लेखा पदाधिकारी डॉ. अमित आनंद का कहना है कि पथ निर्माण विभाग के किसी भी एंबुलेंस के संबंध में विभाग को जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में डीएम के आदेश पर पथ निर्माण विभाग से छातापुर पीएचसी को दस दिनों के लिए एंबुलेंस दी गई थी। इसके ज्यादा उन्हें जानकारी नहीं है। एंबुलेंस खरीदने और उसके मेंटनेंस की राशि एमबीडी में दी जाती है। एंबुलेंस सड़क निर्माण एजेंसी खरीदती है और उसका रख-रखाव भी वही करती है। वही विभाग ने सिविल सर्जन कार्यालय को एंबुलेंस चालकों और सड़क निर्माण एजेंसी का मोबाइल नंबर उपलब्ध करा दिया है।