बिहार में 4 साल के ग्रेजुएशन पर राजभवन-सरकार में तकरार बढ़ी: अब शिक्षा मंत्री ने भी किया राज्यपाल के फैसले का विरोध

बिहार में 4 साल के ग्रेजुएशन पर राजभवन-सरकार में तकरार बढ़ी: अब शिक्षा मंत्री ने भी किया राज्यपाल के फैसले का विरोध

PATNA: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने अपना कामकाज संभालने के साथ ही यूनिवर्सिटी और कॉलेज की स्थिति सुधारने की मुहिम छेड़ रखी है. राज्यपाल ने सभी यूनिवर्सिटी को अपना सेशन औऱ परीक्षा नियमित करने का टास्क दे रखा है. इसके साथ ही सूबे में चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स शुरू करने का भी फैसला ले लिया गया है. बिहार के विश्वविद्यालयों में इसी सत्र से चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम आधारित 4 साल के स्नातक कोर्स की शुरुआत का एलान किया गया है. लेकिन बिहार सरकार ने राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने राजभवन को पत्र लिखा था, आज शिक्षा मंत्री ने भी मोर्चा खोल दिया. 


शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने आज कहा कि बिहार के यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में चार साल के स्नातक यानि ग्रेजुएशन के लिए संसाधन नहीं है. अभी जब तीन साल का ग्रेजुएशन है तो वह पांच साल में पूरा हो रहा है. जब चार साल का ग्रेजुएशन होगा तो वह सात साल में पूरा होगा. इससे छात्रों का नुकसान होगा. मंत्री ने कहा कि बिहार में आधारभूत संरचना से लेकर शिक्षकों की कमी है. इसलिए हम फिलहाल चार साल का स्नातक शुरू करने की स्थिति में नहीं हैं. आगे इस पर विचार करेंगे. 


इससे पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने राजभवन को पत्र लिख कर राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक के चार वर्षीय पाठॺक्रम शुरू करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर चुके हैं. केके पाठक ने राज्यपाल सचिवालय को लिखे पत्र में कहा है कि कुलाधिपति सचिवालय द्वारा 15 मई 2023 को पत्र जारी कर बिहार में चार साल के स्नातक की पढाई शुरू करने का आदेश दिया है. 


जबकि विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर के शैक्षणिक सत्र काफी विलंब से चल रहे हैं. ज्यादातर विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक कैलेंडर से काफी पीछे चल रहे हैं. राज्य सरकार सबसे पहले देर से चल रहे सेशन यानि सत्र को ठीक करना चाहती है. इसके लिए अगले कुछ महीने में विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक कैलेंडर को ठीक करने के लिए कई जरूरी कदम उठाये जायेंगे. 


केके पाठक ने अपने पत्र में कहा है कि मौजूदा परिस्थिति में राज्य सरकार का मानना है कि विश्वविद्यालयों को सबसे पहले वर्तमान में चल रहे तीन वर्षीय स्नातक कोर्स को समय पर पूरा करना चाहिए. राज्य सरकार अभी चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम का समर्थन नहीं कर सकती है. केके पाठक ने ये भी कहा है कि शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों की कमी है. क्लासरूम भी  नए कोर्स को शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं है. 


केके पाठक के बाद शिक्षा मंत्री ने भी ऐसी ही बात कही है. जबकि राज्यपाल ने राष्ट्रीय नीति के तहत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में इसी सत्र से चार साल का स्नातक कोर्स शुरू करने का आदेश है. इसको लेकर राजभवन ने विश्वविद्यालयों को आदेश दे दिया है. बता दें कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर बिहार में अपना पद संभालने के साथ ही सेशन और परीक्षा को नियमित करने की मुहिम में जुटे है.


 उन्होंने पुराना सेशन नियमित कर चार साल का स्नातक कोर्स शुरू करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही सभी यूनिवर्सिटी को शैक्षणिक और परीक्षा कैलेंडर जारी करने का भी आदेश दिया गया है. राज्यपाल के आदेश के बाद कई यूनिवर्सिटी में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और दो सेमेस्टर का सिलेबस भी बन चुका है.