बिहार को जितना प्यार देंगे उससे ज्यादा वापस मिलता है, पीएम मोदी ने महान विरासत की चर्चा की

बिहार को जितना प्यार देंगे उससे ज्यादा वापस मिलता है, पीएम मोदी ने महान विरासत की चर्चा की

PATNA : बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में शामिल होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहारियों की जमकर तारीफ की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत बिहारियों के प्रेम भाव की चर्चा करते हुए की।


पीएम मोदी ने कहा कि बिहार को आप जितना प्यार करेंगे उससे ज्यादा प्यार आपकों वापस मिलेगा। पीएम मोदी ने बिहार के गौरवशाली इतिहास और विरासत की भी खूब चर्चा की। विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र की धरती वैशाली की चर्चा भी पीएम मोदी ने की। साथ ही साथ यह भी कहा कि आज अगर देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और बिहार विधानमंडल भवन के 100 साल पूरे हुए हैं तो इसमें भी एक संदेश छिपा है।


पीएम मोदी ने बिहार के लोगों से कहा कि आप सभी को बिहार विधानसभा भवन के शदाब्दी वर्ष की शुभकामनाएं। बिहार का ये सौभाग्य है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उस प्यार को कई गुना करके लौटाता है। आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है।


पीएम मोदी ने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है। लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है।


PM मोदी ने कहा कि दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है। लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है। जब दुनिया के बड़े भू-भाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतंत्र का संचालन हो रहा था। 


उन्होंने कहा कि जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे।भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है, जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है। हजारों वर्षों पूर्व हमारे वेदों में कहा गया है- त्वां विशो वृणतां राज्याय त्वामिमाः प्रदिशः पञ्च देवीः।


पीएम ने कहा कि मैं जब भी बड़े वैश्विक मंच पर जाता हूं, तो बड़े गर्व से कहता हूं कि विश्व में लोकतंत्र की जननी हमारा भारत है, भारत Mother of Democracy है। बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। 


पीएम मोदी ने कहा कि बिहार ने आजाद भारत को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका। देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष-विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के लिए, देशहित के लिए हमारी आवाज एकजुट होनी चाहिए।  


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में संसद में सांसदों की उपस्थिति और संसद की प्रोडक्टिविटी में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। संसद के पिछले बजट सत्र में लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 129% थी, राज्यसभा में भी 99% प्रोडक्टिविटी दर्ज की गई है। यानि देश लगातार नए संकल्पों पर काम कर रहा है। दुनिया के लिए 21वीं सदी भारत की सदी है। हमें इसी सदी में, अगले 25 सालों में नए भारत के स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुंचना है। इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे। इसलिए, ये 25 साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं। हमें अपने कर्तव्यों को अपने अधिकारों से अलग नहीं मानना चाहिए। हम अपने कर्तव्यों के लिए जितना परिश्रम करेंगे, हमारे अधिकारों को भी उतना ही बल मिलेगा। हमारी कर्तव्य निष्ठा ही हमारे अधिकारों की गारंटी है।