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1st Bihar Published by: Updated Tue, 23 Nov 2021 07:02:46 AM IST
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PATNA : बिहार में उच्च शिक्षा व्यवस्था के अंदर चल रही गड़बड़ियों और लगातार सामने आ रही हैं। पहले वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति का बड़ा घोटाला सामने आया तो अब बिहार में कई विश्वविद्यालयों के द्वारा किताब खरीद को लेकर गड़बड़ी की बात सामने आई है। ताजा मामला बिहार के कई विश्वविद्यालयों की तरफ से किताबों की खरीद से जुड़ा है। करोड़ों रुपए की किताब दिल्ली की एक कंपनी से अलग-अलग विश्वविद्यालयों ने खरीदी है। इस पूरी खरीद में घोटाले की आशंका जताई जा रही है। दरअसल विश्वविद्यालयों में किताबों की खरीद के लिए किसी टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। दिल्ली स्थित एक कंपनी को ऑर्डर दिए गए और करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया।
बिहार के अलग-अलग विश्वविद्यालयों की तरफ से करोड़ों रुपए की किताबें दिल्ली की जिस कंपनी से खरीदी गई उसका नाम इंडिका पब्लिशर्स एंड डिसटीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड है। यह कंपनी दिल्ली के दरियागंज मंडी में स्थित है और आश्चर्य की बात यह है कि सभी विश्वविद्यालयों ने किताब की खरीद टेंडर प्रक्रिया के बगैर एक ही कंपनी से की है। शुरुआती छानबीन में यह पता चला है कि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने इसी कंपनी से किताबों की खरीद की इसकी जांच चल रही है। कई कॉलेज के प्राचार्य और शिक्षकों का आरोप है कि विश्वविद्यालयों ने जिन किताबों की खरीद की है वह किसी उपयोग की नहीं हैं। विभागाध्यक्ष कह रहे हैं कि बहुत सारी किताबें तो ऐसी हैं जो सिलेबस के मुताबिक मेल नहीं खाती सिर्फ बुक्स अलमीरा की शोभा बढ़ाने के लिए किताबों की खरीद कर दी गई। इस मामले की जांच विजिलेंस की टीम कर रही है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने इस बात की पुष्टि की है कि किताबों की खरीद इंडिका पब्लिशर्स डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड से ही की गई है।
विजिलेंस की टीम ने मगध विश्वविद्यालय में किताबों की खरीदारी के मामले में गड़बड़ी को पकड़ा और इसके बाद जांच का दायरा बढ़ गया है। हैरत की बात तो यह है कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का भवन अब तक बनकर तैयार नहीं हुआ लेकिन यहां पांच करोड़ रुपए की किताबें और अलमीरा की खरीद कर ली गई। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति जी एस जसवाल के आदेश पर किताबों की खरीद की गई। शिक्षकों और छात्रों की तरफ से आरोप लगाया जा रहा है कि पुस्तकों की खरीद में मानकों का पालन नहीं किया गया सिलेबस और करंट अफेयर्स से जुड़े किताबों की खरीद की गई होती तो यह उपयोग लायक होती। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय ने तो हद ही कर डाला है। किताबों की खरीद करने के बाद उसे किराए के एक मकान में रखा गया है। किताबों को रखने के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से 50 लाख रुपये से ज्यादा का किराया साल भर में विश्वविद्यालय को देना होगा।