बिहार: कोर्ट ने सुनाया अजीबोगरीब फैसला, रेप की कोशिश में जेल गए आरोपी को धोना होगा 2000 महिलाओं का कपड़ा

1st Bihar Published by: Updated Wed, 22 Sep 2021 05:48:31 PM IST

बिहार: कोर्ट ने सुनाया अजीबोगरीब फैसला, रेप की कोशिश में जेल गए आरोपी को धोना होगा 2000 महिलाओं का कपड़ा

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PATNA : बिहार के मधुबनी में कोर्ट ने एक ऐसा अजीबोगरीब फैसला सुनाया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. दरअसल कोर्ट ने रेप की कोशिश में जेल गए एक शख्स को गांव की 2 हजार महिलाओं के कपड़े धोने की शर्त पर रिहा कर दिया है. आरोपी शख्स  गांव की सभी महिलाओं का कपड़ा साफ करेगा और प्रेस करके उसे वापस देगा.


मधुबनी जिले के झंझारपुर की निचली अदालत में एडीजे अविनाश कुमार (प्रथम) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. दरअसल ललन कुमार ने एक महिला के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म का प्रयास किया था. लौकहा थाना क्षेत्र के एक गांव का रहने वाला ललन इसी साल 19 अप्रैल से जेल में बंद है. ललन के ऊपर आरोप है कि इसने 17 अप्रैल की रात को गांव की एक महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया और बलात्कार करने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने इसे अरेस्ट कर जेल में डाल दिया था.


लौकहा थाना प्रभारी संतोष कुमार मंडल ने बताया कि 17 अप्रैल की रात आरोपित युवक ने गांव की एक महिला के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म का प्रयास किया था. पीड़िता के बयान पर 18 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पुलिस ने 19 अप्रैल को ही आरोपित युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इसी मामले में आरोपी ने जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.


जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे एडीजे अविनाश कुमार (प्रथम) ने जमानत के साथ कपड़ा धोने का शर्त पूरा करने और साथ ही आयरन कर उन्हें वापस करेगा. छह माह बाद अपने गांव के मुखिया या सरपंच अथवा किसी भी सम्मानित सरकारी कर्मी से मुफ्त सेवा करने का प्रमाण पत्र लेकर कोर्ट में समर्पित करने का निर्देश भी दिया है. जमानत की कॉपी गांव के सरपंच और मुखिया को भी भेजी जायेगी, ताकि वे इस बात पर नजर रख सकें कि जमानत पर रिहा होने वाला युवक कोर्ट के आदेश का पालन कर रहा है या नहीं.


पंचायत की निवर्तमान मुखिया नसीमा खातून ने बताया कि जिस वार्ड का यह मामला है, उस वार्ड में ही महिलाओं की संख्या करीब 425 है. नसीमा ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है. इससे महिलाओं के मान सम्मान की रक्षा होगी और इस प्रकार की घटना करने से पहले लोग सौ बार सोचेंगे. ललन कुमार साफी के वकील परशुराम मिश्र ने बताया कि यह एक प्रकार का सामाजिक संदेश है. इससे समाज में एक सीख जायेगा.