PATNA : बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व पर अपना भरोसा कायम रखा है. बिहार की जनता ने 15 वर्ष के सुशासन को एक बार फिर से पांच साल के लिए जनादेश दिया है.
इसी जीत के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक इतिहास रचने वाले हैं. नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर सातवीं बार सपथ लेंगे. इसके साथ ही नीतीश कुमार के नाम सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने का इतिहास जुड़ जाएगा.
बिहार में आरजेडी की सरकार को हटाकर सीएम बनने वाले नीतीश कुमार ने 2005 के बाद अपने हाथ से सत्ता की बागड़ोर कभी फिसलने नहीं थी. सबसे पहले नीतीश कुमार ने साल 2000 में सीएम बने थे पर बहुमत साबित नहीं होने के कारण कुछ ही दिनों में उनकी सरकार गिर गई थी. इसके बाद उन्होंने 24 नवंबर 2005 को एक बार फिर सीएम पद की शपथ ली और फिर उनका सफर नहीं रुका. पांच साल तक सफल राज करने के बाद वे 2010 में तीसरी बार बिहार के सीएम बने. 26 नवंबर 2010 उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली.
पर साल 2014 में लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी से अलग हो गए. इसके बाद नीतीश ने जीतनराम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन फिर 22 फरवरी 2015 को उन्होंने सीएम पद की चौथी बार शपथ ली. लेकिन एक बार फिर बिहार के राजनीतिक सम्मीकरण बदल गए और नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से जीत हुई और नीतीश कुमार ने 5वीं बार 20 नवंबर 2015 को सीएम पद की शपथ ली.
दो साल तक महागठबंधन में रहने के बाद नीतीश कुमार आरजेडी से अलग हो गए और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. एक बार फिर नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी बीजेपी से गठबंधन कर लिया और 27 जुलाई 2017 को उन्होंने छठी बार सीएम पद की शपथ ली. अब एक बार फिर 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की है. भले ही एनडीए में नीतीश कुमार की पार्टी का कद छोटे भाई की हो गई हो पर बीजेपी ने उन्हें सीएम बनाने का फैसला लिया है. अब नीतीश कुमार सातवीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे.