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1st Bihar Published by: Updated Sun, 22 Aug 2021 05:59:16 PM IST
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PATNA : बिहार में लड़कियों को पढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार की ओर से नए-नए नियम कानून बनाये जा रहे हैं. लड़कियों को प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. यहां तक कि राज्य सरकार ने लड़कियों के लिए मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, स्पोर्ट यूनिवर्सिटी आदि संस्थानों में सीट भी आरक्षित कर दिया है. लेकिन एक कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों के लिए एक ऐसा नियम-कानून बनाया है, जिसकी काफी आलोचना हो रही है. दरअसल कॉलेज में लड़कियों के सेल्फी लेने और खुले बाल पढ़ने जाने पर रोक लगा दिया गया है.
मामला बिहार के सिल्क सिटी भागलपुर जिले से जुड़ा है. दरअसल भागलपुर में स्थित सुंदरवती महिला कॉलेज प्रशासन की ओर से नया ड्रेस कोड लागू किया गया है. इस आदेश के साथ-साथ नया फरमान भी जारी किया गया है. जिसे लोग 'तुगलकी फरमान' करार दे रहे हैं. कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक खुले बालों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
सुंदरवती महिला कॉलेज की प्रिंसिपल का कहना है कि कॉलेज कैंपस में लड़कियां सेल्फी भी नहीं लेंगी. बाल खुले रखने वाली छात्राओं को कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जायेगा. वे सिर्फ और सिर्फ एक चोटी या दो चोटी में बाल बांधकर ही पढ़ने आएंगी. बताया जा रहा है कि कॉलेज की कमेटी ने यह बड़ा निर्णय लिया है.
आदेश में कहा गया है कि लड़कियां सिर्फ रॉयल ब्ल्यू कुर्ता और सफ़ेद सलवार पहनेंगी. इसके साथ वे एक सफ़ेद दुपट्टा लेंगी. सफ़ेद मोजा और काला जूता पहनेंगी. ये नियम गर्मी के दिनों में रहेगा. रही बात जाड़े के मौसम की. तो जाड़े में लड़कियां रॉयल ब्लू ब्लेजर या कार्डिगन पहनकर पढ़ने के लिए कॉलेज आएंगी.
जानकारी मिली है कि सुंदरवती महिला कॉलेज में लगभग डेढ़ हजार लड़कियां पढाई करती हैं. नए सेशन यानी कि सत्र 2021-2023 में जिन्होंने एडमिशन लिया है, ये आदेश उनके लिए जारी किया गया है. बाकायदा आदेश पत्र पर इसका जिक्र भी किया गया है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से जुड़े छात्रों ने इसे तुगलकी फरमान बताया है. तो अन्य छात्रों ने इसकी तुलना शरिया कानून से की है.
क्या होता है तुगलकी फरमान -
हिंदी की एक वेबसाइट -जीके इन हिंदी' के मुताबिक बिना सोचे-समझे और बिना प्रजा के हितों का ध्यान रखे सख्ती से लागू किए जाने वाले फैसलों को तुगलकी फरमान कहा जाता है. जिसमें विचार-विमर्श व तर्क वितर्क ना किया गया हो और किसी एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को तरजीह दी गई हो. तो ऐसे फैसलों को तुगलकी फरमान कहा जाता है.
लोकतंत्र में इस शब्द को कटाक्ष को तरह देखा जाता है. तुगलकी फरमान में तुगलकी शब्द चौदहवीं शताब्दी में दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहे तुगलक राजाओं से जुड़ा हुआ है. तुगलक राजाओं में सबसे एक राजा मोहम्मद बिन तुगलक को उसके बेवकूफी भरे फैसलों के लिए जाना जाता है.