आरा के सुनीलम हॉस्पिटल में धड़ल्ले से हो रही कालाबाजारी, कोरोना मरीजों को दोगुने-तिगुने दाम में बेचा जा रहा इंजेक्शन

आरा के सुनीलम हॉस्पिटल में धड़ल्ले से हो रही कालाबाजारी, कोरोना मरीजों को दोगुने-तिगुने दाम में बेचा जा रहा इंजेक्शन

ARA : बिहार में कोरोना महामारी के बीच अस्पतालों में कालाबाजारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ताजा मामला आरा का है, जहां शहर के एक बड़े अस्पताल में ब्लैक मार्केटिंग का खुलासा हुआ है. सुनीलम हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों को लूटने का मामला सामने आया है. बड़े पैमाने पर सुनीलम हॉस्पिटल में कालाबाजारी की जा रही है. फर्स्ट बिहार से बातचीत में सुनीलम हॉस्पिटल के कर्ताधर्ता और प्रबंधक डॉ सुनील ने खुद स्वीकार किया कि वह और उनकी टीम कालाबाजारी के धंधे में शामिल हैं. पटना और अन्य जगहों से ये लोग ब्लैक में दवाइयों की खरीद बिक्री करते हैं. मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है. उधर आरा के डीएम रोशन कुशवाहा ने फर्स्ट बिहार से कहा कि जांच के बाद सुनीलम अस्पताल के ऊपर कठोर कार्रवाई की जाएगी. 


आरा के सुनीलम हॉस्पिटल में कोरोना का इलाज कराने वाले सूर्यदेव उपाध्याय के परिजनों ने कालाबाजारी की शिकायत की है. सूर्यदेव उपाध्याय भोजपुर जिले के पवना थाना क्षेत्र के खनिता गांव के रहने वाले हैं, जो कोरोना से संक्रमित थे. मरीज के अटेंडेंट राहुल कुमार उपाध्याय का कहना है कि सुनीलम हॉस्पिटल में दवाई और इंजेक्शन के नाम पर मोटी रकम की वसूली की जा रही है. उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में दोगुने-तिगुने दाम में इंजेक्शन बेचा जा रहा है. पूछने पर अस्पताल प्रबंधन ने फर्स्ट बिहार को बताया कि कि हम भी ब्लैक में ख़रीदे हैं इसलिए कालाबाजारी कर के बेच रहे हैं. मेरी टीम पटना और अन्य जगहों से ब्लैक में दवाइयों की खरीद-बिक्री करती है. 


सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेता अभिषेक द्विवेदी ने सुनीलम हॉस्पिटल में बड़े पैमाने पर चल रहे कालाबाजरी के धंधे को प्रकाश में लागे का काम किया है. उन्होंने सुनीलम अस्पताल की ओर से दिए गए कच्चे और पक्के रसीद को मीडिया के सामने रखा है. दवाई की रसीद में अस्पताल के काले कारनामे का सबूत है. कम्प्यूटराइज्ड बिल और कच्चे बिल, दोनों में इंजेक्शन के दाम को ढाई गुना से ज्यादा जोड़ा गया है. अस्पताल ने 585 रुपये प्रिंट वाले Enoxaparin 0.6 इंजेक्शन को डेढ़ हजार (1500) रुपये में बेचा है. अभिषेक द्विवेदी का आरोप है कि 600-700 में बिकने वाले Mero 1g इंजेक्शन को सुनीलम हॉस्पिटल ने 4318 रुपए में बेचा है. इसका उन्होंने सबूत भी पेश किया है. सोशल मीडिया पर भी इस अस्पताल के खिलाफ स्थानीय लोगों ने मुहीम छेड़ी है. 



सुनीलम हॉस्पिटल की काली करतूतों का खुलासा होने के बाद अस्पताल के प्रबंधक डॉ सुनील से फर्स्ट बिहार की बातचीत हुई है. फर्स्ट बिहार से बातचीत में डॉ सुनील ने कहा कि "मार्केट से दवाई आउट ऑफ़ स्टॉक हो गया था. कहीं मिल नहीं रहा था. इसलिए हम ब्लैक में किसी से दवाई लिए थे. हमको बिलकुल भी याद नहीं है कि किससे, किस दिन और किस तारीख को हम ब्लैक में दवाई ख़रीदे थे." हालांकि आगे सवालों का जवाब देते हुए डॉ सुनील ने यह स्वीकार किया कि आरा से पटना तक फैसले दवाइयों की ब्लैक मार्केटिंग में वह और उनकी टीम शामिल है.


डॉ सुनील ने सुनीलम हॉस्पिटल के काले कारनामे का चिट्ठा खोलते हुए आगे विस्तार से बताया कि उन्होंने पटना में रहने वाले एक एजेंट के माध्यम से इन दवाइयों को ब्लैक में मंगवाया था. उसी ब्रोकर के जरिये ये दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग करते हैं. पटना के जीएम रोड में ये एजेंट रहते हैं, जिनके माध्यम से डॉ सुनील अवैध तरीके से दवाइयों की खरीद-बिक्री करते हैं. जो दवाइयां स्टॉक में नहीं रहती हैं, तो एजेंट के माध्यम से ये लोग इस धंधे को आगे बढ़ाते हैं. डॉ सुनील का कहना है कि जीएम रोड में ऐसे कई सारे ब्रोकर हैं, जिनके संपर्क में इनकी टीम रहती है, जो आरा सुनीलम हॉस्पिटल में दवाइयां पहुंचाने का काम करती है.



डॉ सुनील ने बताया कि जिन लोगों के साथ ये दवाइयों की कालाबाजारी करते हैं, उनका चेहरा, नाम, पता या संपर्क नंबर कुछ याद नहीं है. डॉ सुनील को बस इतना याद है कि वो किसी को भेजकर ब्लैक में दवाई मंगवाए थे. उन्होंने कहा कि जब कोरोना पीक पर था तो पंद्रह दिन पहले उन्होंने दवाई को मंगवाया. डॉ सुनील बताते हैं कि मरीजों की जान बचाना उनकी पहली प्राथमिकता है. कहीं से भी दवाई मांगकर वह मरीज की जान बचाना चाहते हैं. ये बात कहना गलत है कि हम ज्यादा पैसे ले रहे हैं.


इस मामले में आरा के डीएम रोशन कुशवाहा ने फर्स्ट बिहार को बताया कि सुनीलम हॉस्पिटल के बारे में उन्हें भी शिकायत मिली है. सोशल मीडिया के माध्यम से भी उन्हें ये जानकारी प्राप्त हुई है. जिलाधिकारी ने कहा कि उन्होंने DRDA के निदेशक को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है. DRDA के डायरेक्टर इंजेक्शन की कीमत और मरीज को जितने में दवाई बेची गई, उसकी जांच करेंगे. जांच रिपोर्ट आने के बाद सुनीलम हॉस्पिटल के खिलाफ एक्शन लिया जायेगा. 



आरा सदर के अनुमंडल पदाधिकारी आईएएस वैभव श्रीवास्तव ने इस मामले को लेकर फर्स्ट बिहार को जानकारी दी कि सुनीलम हॉस्पिटल में कालाबाजरी का मामला उनके भी संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा कि अभिषेक द्विवेदी की ओर से ईमेल के माध्यम से उन्हें सारी जानकारी और उपयुक्त डाक्यूमेंट उपलब्ध कराये गए हैं. जांच जारी है. आरा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को भी इस मामले के बारे में बताया गया है.


गौरतलब हो कि भोजपुर जिला प्रशासन की ओर से निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए बेडो की संख्या निर्धारित की गई है. राजेंद्र अस्पताल में 30, सुनीलम अस्पताल में 30, आयुष्मान हॉस्पिटल में 10, हेल्थ हेवन में 20 और न्यू लाइफ हॉस्पिटल में 20 बेड कोरोना के मरीजों के लिए है.