बिहार के 3500 से अधिक स्कूलों के छह लाख बच्चों को नहीं मिल रहा मिड डे मील, कहीं पानी नहीं तो कहीं चावल नहीं

बिहार के 3500 से अधिक स्कूलों के छह लाख बच्चों को नहीं मिल रहा मिड डे मील, कहीं पानी नहीं तो कहीं चावल नहीं

PATNA: बिहार के लगभग 3500 से अधिक स्कूलों के 6 लाख बच्चों को मिड-डे-मील नहीं मिल पा रहा है। वजह यह है कि कहीं चावल नहीं है, तो कहीं पानी नहीं है। नई व्यवस्था में तेल, मसाला और अन्य सामग्री की आपूर्ति नहीं हो रही। कुछ स्कूलों में रसोई गैस के न होने से बच्चों का खाना तक नहीं बन पाता है। कई ऐसे स्कूल भी हैं, जहां कोरोना से रसोइया की मौत हो गई थी जिसके बाद अभी तक नए रसोइया का चयन नहीं किया गया है। इसके कारण भी मिड डे मील नहीं बन पा रहा है। चावल की कमी की रिपोर्ट जिलों से मुख्यालय को दी जा चुकी है। 


वहीं, इन समस्याओं के हल के लिए पहल भी की जा रही है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले मॉनिटरिंग सेल को मिड डे मील के लिए एसएफसी ने चावल उपलब्ध नहीं कराने की रिपोर्ट भी भेजी है। पानी की समस्या दूर करने के लिए 20 अप्रैल को पीएम पोषण योजना के आदेश ने सभी डीपीओ को पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि पीएचईडी के साथ समन्वय स्थापित कर इस समस्या को हल करेंगे। 


पहला केस 


दानापुर के प्राथमिक विद्यालय अभिमन्युनगर में दो महीने से अधिक समय से हैंडपंप खराब है। पानी के अभाव में बच्चों का खाना नहीं बनाया जा रहा है। इसी कारण बच्चे अपने घर से ही खाना लाकर आते हैं। पीने की कमी को पूरी करने के लिए पत्र भी लिखा गया है। लेकिन न ही पत्र का जवाब आया और न ही इसपर कोई काम किया जा रहा है। 


दूसरा केस 


दानापुर के मुस्तफापुर मध्य विद्यालय के बच्चों को बिना पानी के दो महीने से कम खाना दिया जा रहा है। इस विद्यालय में दो कमरे है जिसमें एक से आठ तक की कक्षा चलती है। जबकि कुल नामांकन 173 है। रोजाना लगभग 100 बच्चे स्कूल आते हैं। भीषण गर्मी में बच्चे और शिक्षक घर से ही पीने का पानी लाते है। चापाकल ठीक होने के बाद रसोई गैस की कमी से मिड डे मील नहीं बना।


तीसरा केस 


वहीं पटना फुलवारी शरीफ के प्राथमिक विद्यालय मैनपुरा झुग्गी-झोपड़ी प्राथमिक विद्यालय में तो कोरोना के बाद जब से स्कूल खुला है, तब से ही बच्चों को मिड डे मिल नहीं मिल रहा है। यहां काफी समय से चापाकल खराब पड़ा है। पानी के अभाव में मिड डे मिल नहीं बन रहा। कुछ बच्चे पानी पीने के लिए कक्षा छोड़कर अपने घर चले जाते हैं।


प्रत्येक बच्चे पर 150 ग्राम तक चावल


कक्षा 1 से 5 तक हर एक बच्चे के लिए 4.97 रुपए और 100 ग्राम चावल

कक्षा 6 से 8 तक के प्रत्येक बच्चे के लिए 7.45 रुपए और 150 ग्राम चावल

प्रारंभिक स्कूल की संख्या 70,333 इसमें 4500 स्कूलों में एमडीएम एनजीओ के जिम्मे

कुल नामांकन 1.79 करोड़

हर दिन औसत लाभान्वित बच्चों की संख्या 1.18 करोड़


आईवीआरएस से सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और प्रभारी शिक्षक को फोन किया जाता है। उनसे दो सवाल पूछे जाते हैं कि पहले कितने बच्चे स्कूल में उपस्थित हैं? और दूसरा कितने बच्चों ने खाना खाया है। अगर जवाब यह आता है कि एक भी बच्चे ने खाना नहीं खाया है तो फिर पूछा जाता है कि खाना बनाने की सामग्री नहीं है। चावल नहीं है। पानी नहीं है। रसोइया नहीं है। या कोई दूसरा कारण है। मॉनिटरिंग के लिए इस सॉफ्टवेयर पर सालाना 67 लाख रुपए खर्च किये जाते हैं। अलग-अलग करणों से कुछ स्कूलों में मिड डे मील बंद चल रहा है। जिसे जल्द दूर किया जाएगा।