PATNA: पटना हाईकोर्ट ने बिहार फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को पद से हटाने का निर्देश दिया है। बिहार फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार रिटायर होने के बाद भी काम कर रहे थे। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता उमा शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को यह आदेश दिया।
पटना हाईकोर्ट ने24 घंटे के भीतर किसी भी पदेन सदस्य को रजिस्ट्रार के रूप में नियुक्त करने का आदेश सरकार को दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केसरी ने कोर्ट को बताया कि बिहार फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष मामलों का संचालन करती रहीं।
परिषद के रजिस्ट्रार के रूप में अवैध और अनधिकृत रूप से कार्य कर रहे है। प्रतिवादी बिंदेश्वर नायक को कार्यमुक्त करने में उक्त अध्यक्ष को कम से कम पांच महीने का समय लगा। परिषद के कुप्रबंधन, आचरण और मामलों के संदर्भ में 5 जून 2010 और 20 दिसम्बर 2013 की दो प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। लेकिन इस संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई।
अधिवक्ता ने बताया कि कार्यवाहक अध्यक्ष/अध्यक्ष फार्मासिस्टों को अनियमित ढंग से लाइसेन्स देते थे। वे मनमानी ढंग से नियमों की अनदेखी कर लाइसेन्स फोन पर ही दे दिया करते थे। प्रतिवादी की ओर से पेश अजय बिहारी सिन्हा ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि सरकार द्वारा कई पत्र जारी किए गए थे जिसमें अध्यक्ष और परिषद को रजिस्ट्रार के नाम भेजने के लिए कहा गया है लेकिन ऐसा नहीं किया गया।