विधानमंडल के मानसून सत्र में ऐसी होगी सुरक्षा व्यवस्था.. कि परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा

विधानमंडल के मानसून सत्र में ऐसी होगी सुरक्षा व्यवस्था.. कि परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा

PATNA: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 26 जुलाई से शुरू हो रहा है। मानसून सत्र 30 जुलाई तक चलेगा। इस बार का मानसून सत्र कोरोना संक्रमण को देखते हुए केवल 5 दिनों का ही होगा। इस बेहद संक्षिप्‍त सत्र में केवल 5 बैठकों की योजना है। इस दौरान राज्‍य में कोरोना काल के दौरान चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था, तीसरी लहर को लेकर तैयारी, युवाओं को रोजगार जैसे मसले विपक्ष प्रमुख तौर पर उठाए जा सकते हैं। मानसून सत्र को लेकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है। जिला प्रशासन ने विधानसभा के आस-पास 35 मजिस्ट्रेट और 700 पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी है। मजिस्ट्रेट की तैनाती 26 से 30 जुलाई तक सुबह साढ़े आठ बजे से सत्र की समाप्ति तक रहेगी।  


बिहार विधानसभा का 26 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र को देखते हुए जिला प्रशासन ने विधानसभा की सुरक्षा बढ़ा दी है। जिला नियंत्रण कक्ष से मजिस्ट्रेट की तैनाती से संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है। सत्र शुरू होने से पहले ही मजिस्ट्रेट एवं पुलिस अधिकारी परिसर में तैनात रहेंगे। विधानसभा के आसपास धारा-144 लागू कर दी गई है। विधानसभा के आस-पास 5 या 5 से अधिक लोगों का जमावड़ा वर्जित है। विधानसभा के दो किलोमीटर के दायरे में किसी संगठन का धरना-प्रदर्शन, जुलूस, हथियार प्रदर्शन, घेराव प्रतिबंधित किया गया है।


इस दौरान बगैर अनुमति के लाउडस्पीकर बजाना भी प्रतिबंधित किया गया है। विधानसभा सत्र के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर विधानसभा परिसर में 35 मजिस्ट्रेट और 700 पुलिस पदाधिकारी व पुलिसकर्मियों को तैनात कि तैनाती की गई है। विधानसभा जाने वाले सभी रास्तों पर वरीय मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है यह सब पिछली बार विधानसभा में हुई घटना को देखते हुए किया जा रहा है। पूर्व की घटनाओं की तरह पुनरावृत्ति ना हो इसे लेकर सभी मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारियों को अलर्ट किया गया है।


पिछली बार विधानसभा में कई बार अप्रिय माहौल उत्पन्न हुए थे। विधानसभा अध्‍यक्ष को विपक्ष के साथ ही सत्‍ता पक्ष के आरोप भी झेलनी पड़ी थी। दोनों खेमों में तालमेल बनाकर सदन चलाने में इस बार भी विधानसभा अध्‍यक्ष को काफी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल सत्‍ता पक्ष और विपक्ष में राजनीतिक बयानबाजी का दौर तेज है। इसे सामान्‍य करने की कोशिश की जा सकती है।