भोजपुरी पर सदन में भिड़ंत, अष्टम अनुसूची में शामिल कराने के लिए अड़ गए प्रेमचंद मिश्रा

भोजपुरी पर सदन में भिड़ंत, अष्टम अनुसूची में शामिल कराने के लिए अड़ गए प्रेमचंद मिश्रा

PATNA : बिहार विधान परिषद में आज भोजपुरी का मामला लंबे अरसे तक गूंजता रहा. संविधान की अष्टम अनुसूची में भोजपुरी को शामिल किए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने गैर सरकारी संकल्प लिया था. प्रेमचंद मिश्रा ने सदन में गैर-सरकारी संकल्प के जरिए यह मांग रखी कि राज्य सरकार एवं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल किए जाने के लिए के प्रस्ताव भेजे. इसके जवाब में मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि साल 2006 में ही भेजा जा चुका है.


इसके बाद प्रेमचंद्र मिश्रा ने इस प्रस्ताव पर रिमाइंडर भेजे जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि केंद्र में भी एनडीए गठबंधन की सरकार है और बिहार सरकार की तरफ से अगर यह प्रस्ताव भेजा गया है तो भोजपुरी के साथ भेदभाव क्यों हो रहा है. प्रेमचंद मिश्रा के सवाल पर सदन में जवाब देते हुए मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि जब तक पहले के भेजे प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं हो जाता तब तक राज्य सरकार दूसरा प्रस्ताव नहीं भेज सकती. इसके बाद बीजेपी के एमएलसी सच्चिदानंद राय भोजपुरी के मसले पर सदन में उठ खड़े हुए और संविधान की अष्टम अनुसूची में भोजपुरी को शामिल किए जाने के लिए कहा. 


भोजपुरी को अष्टम अनुसूची में शामिल किए जाने के मसले पर सदन में काफी देर तक तू तू मैं मैं होती रही. सच्चिदानंद राय ने कहा कि राज्य सरकार को इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए कि वह केंद्र के पास भोजपुरी के मसले पर एक बार फिर से रिमाइंडर भेजें. मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा कि सरकार जब तक एक प्रस्ताव पर केंद्र का जवाब दाखिल नहीं कर लेती तब तक दूसरे प्रस्ताव को भेजने का सवाल पैदा नहीं होता है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी के साथ भेदभाव कर रही केंद्र में यूपीए गठबंधन की सरकार थी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस मसले पर कोई फैसला नहीं किया. इसके बाद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि अब तो एनडीए वाली डबल इंजन की सरकार है अब भोजपुरी के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है. सदन में भोजपुरी को लेकर काफी देर तक भ्रम की स्थिति बनी रही लेकिन सभापति के कहने के बावजूद प्रेमचंद मिश्रा ने अपना गैर सरकारी संकल्प वापस नहीं लिया.