JAMSHEDPUR: भारत में जितने भी मस्जिद है वहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। मस्जिद में सिर्फ पुरुषों ही जा सकते हैं महिलाए नहीं। लेकिन झारखंड के जमशेदपुर में महिलाओं के लिए मस्जिद बनाया जा रहा है जहां पुरुषों की एंट्री नहीं रहेगी। सिर्फ महिलाएं इस मस्जिद में जा सकेंगी और वहां नमाज अदा कर सकेंगी। हालांकि महिलाओं के बन रहे मस्जिद का विरोध मौलाना अब कर रहे हैं।
महिलाओं के लिए जमशेदपुर में मस्जिद बनाया जा रहा है। इस मस्जिद का नाम सैय्यदा जहरा बीबी फातिमा रखा गया है। यह पूरी तरह महिलाओं के लिए ही होगी। इस मस्जिद में किसी भी पुरुष सदस्य का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित रहेगा। यह मस्जिद में देश में एकलौता मस्जिद होगा जो सिर्फ महिलाओं के लिए बन रहा है। जमशेदपुर के कपाली स्थित ताजनगर में महिला के लिए मस्जिद का निर्माण जोरशोर से हो रहा है। जो इसी साल बनकर तैयार हो जाएगा। मस्जिद को एक समाजसेवी नूरजमां द्वारा बनवाया जा रहा है।
मस्जिद की देखभाल महिलाएं ही करेंगी। नूरजमां मुस्लिम महिलाओं के लिए काम करती है। महिलाओं के लिए मदरसा भी चलाती हैं। जहां मुस्लिम महिलाएं तालिम हासिल करती हैं। नूरजमां कहती है कि देश में पुरुषों के लिए कई मस्जिद है लेकिन महिलाओं के लिए एक भी नहीं है जहां महिलाएं भी नमाज अदा कर सके। इसी को देखते हुए उन्होंने महिलाओं के लिए मस्जिद बनाने का प्रण लिया। इस दौरान कई मौलाना और मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों ने इसका पुरजोर विरोध भी किया लेकिन वो रूकी नहीं आगे बढ़ती रही और लोगों के विरोध का सामना करती रही।
अब कुछ महीने में महिला मस्जिद बनकर तैयार भी हो जाएगा। इससे मुस्लिम महिलाएं काफी खुश हैं उन्होंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी महिलाओं के मस्जिद बनेगा और वो कभी मस्जिद में जाकर नमाज अदा कर सकेगी। लेकिन महिलाओं के इस सपने को साकार करने का काम समाजसेवी डॉ. नूरजमां ने किया है। नूरजमां के इस प्रयास की महिलाएं सराहना कर रही है।
महिलाओं का कहना है कि घर में कैद होकर वो अल्लाह की इबादत करती हैं शुक्र है नूरजमा का जिनकी पहल से महिलाओं के लिए मस्जिद कुछ महीने में बनकर तैयार हो जाएगा जिसके बाद अब हमलोग भी पुरुषों की तरह मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ सकेंगे। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेवली ने इस मस्जिद को हन्फी मसलक के खिलाफ बताया। कहा कि महिला मस्जिद और महिला इमाम को बनाना हन्फी मसलक के हिसाब से उचित नहीं है। जिसका हम विरोध कर रहे हैं।