PATNA : बिहार में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। अब डीआईजी रैंक से नीचे के अधिकारी किसी भी लोकसेवक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति या भ्रष्टाचार का मामला दर्ज नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में सभी विभागों के अफसरों को निर्देश जारी किए गए हैं।इसको लेकर लेटर भी भेज दिए गए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, सरकारी सेवकों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में निगरानी ब्यूरो जैसी जांच एजेंसी को उक्त व्यक्ति से पूछताछ की अनुमति देने के लिए हर विभाग में अब एक नोडल पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किए जाएंगे। यही नहीं डीआइजी से नीचे रैंक के कोई अधिकारी किसी भी लोकसेवक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति या भ्रष्टाचार का मामला दर्ज नहीं कर सकेंगे। निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के स्तर पर सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिवों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
वहीं, पत्र के साथ ही मानक संचालन प्रक्रिया भी अधिकारियों को प्रेषित की गई है। प्रधान सचिव अरविंद चौधरी की ओर से जारी पत्र के अनुसार भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में संबंधित व्यक्ति से सीधी पूछताछ नहीं की जा सकती लिहाजा प्रत्येक विभाग अवर सचिव स्तर के पदाधिकारी को नोडल नामित करें। उनका नाम, पदनाम, उनके मोबाइल नंबर, मेल आइडी जैसी जानकारी एक फार्मेट में निगरानी विभाग को मुहैया करा दी जाए। ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में सीधे नोडल पदाधिकारी से जानकारी मांगी जा सके। विभागों से आग्रह किया गया है कि वे एक सप्ताह के अंदर वांछित जानकारी निगरानी विभाग को मुहैया कराएं।
उधर, य लोकसेवकों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज करने के लिए केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय की ओर से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई गई है जिसका अनुपालन अनिवार्य किया गया है।