विश्वामित्र ने श्रीराम को खिलाया था लिट्टी चोखा, नरेंद्र मोदी के बहाने जानिये बिहार के लिट्टी-चोखा की प्राचीन कहानी

विश्वामित्र ने श्रीराम को खिलाया था लिट्टी चोखा, नरेंद्र मोदी के बहाने जानिये बिहार के लिट्टी-चोखा की प्राचीन कहानी

PATNA : बुधवार को दिल्ली के हुनर हाट में लिट्टी-चोखा खाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर की खूब चर्चा हुई. सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के वायरल होने के बाद लोगो ने इसे बिहार में होने वाले चुनाव से जोड़ा. लेकिन इसी बहाने हम आपको बिहार के पसंदीदा लिट्टी-चोखा की प्राचीन कहानी बताते हैं.


भगवान राम ने भी खाया था लिट्टी चोखा
बिहार के साथ साथ झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से में लोगों के पंसदीदा खाना लिट्टी-चोखा की कहानी भगवान राम से जुड़ी है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने गंगा नदी के तट पर लिट्टी-चोखा खाया था. बिहार का बक्सर का इलाका त्रेतायुग में चरित्रवन के रूप में जाना जाता था. त्रेतायुग में भगवान राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ पंचकोसी यात्रा पर निकले थे. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी यात्रा के दौरान गंगा नदी के तट पर उन्होंने लिट्टी-चोखा का भोजन किया था. बक्सर में आज भी पंचकोसी यात्रा होती है और यात्रा करने वाले श्रद्धालु लिट्टी-चोखा का भोजन करते हैं.


मगध साम्राज्य के समय दूर-दूर फैला लिट्टी-चोखा का स्वाद
मगध साम्राज्य के समय लिट्टी चोखा का स्वाद बिहार की सीमा से बाहर निकल कर दूर-दूर तक फैला. मगध साम्राज्य मौजूदा भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक फैला था. उन इलाकों में मगध से सैनिक और दूसरे अधिकारी भेजे जाते थे. वे अपने साथ लिट्टी-चोखा भी उन इलाकों में ले गये. हालांकि इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है लेकिन बिहार के लोग जहां कहीं भी पलायन करके गये लिट्टी-चोखा को साथ लेकर गये.


ब्रिटिश काल में चोखा के बदले मटन जुड़ गया
1757 ईस्वी के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभाव बिहार में बढ़ने लगा. बिहार की उपजाऊ जमीन गोरे शासकों को खूब भायी. लिहाजा उन्होंने यहां डेरा डाला. उन्हें यहां का खाना लिट्टी तो पसंद आया लेकिन आदतन मांसाहारी अंग्रेजों ने चोखा के बदले मटन को जोड़ दिया. अंग्रेजों के समय से ही लिट्टी के साथ चोखा के अलावा मटन भी जुड़ गया. अभी भी कई पार्टियों में लिट्टी के साथ मटन परोसा जाता है.