ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Crime News: शराबबंदी कानून के तहत बिहार में पहली बार किसी महिला को सजा, इतने साल जेल और एक लाख जुर्माना Bihar Crime News: शराबबंदी कानून के तहत बिहार में पहली बार किसी महिला को सजा, इतने साल जेल और एक लाख जुर्माना फरहदा में कौशल युवा प्रोग्राम प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम, समाजसेवी अजय सिंह ने युवाओं को दिखाई सफलता की राह Purnea News: शिक्षाविद् रमेश चंद्र मिश्रा की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा, विद्या विहार समूह की सभी संस्थाओं में हुआ आयोजन Purnea News: शिक्षाविद् रमेश चंद्र मिश्रा की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा, विद्या विहार समूह की सभी संस्थाओं में हुआ आयोजन Hate Speech Case: हेट स्पीच केस में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को बड़ा झटका, सजा के खिलाफ अपील खारिज Hate Speech Case: हेट स्पीच केस में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को बड़ा झटका, सजा के खिलाफ अपील खारिज अवैध कोयला खनन के दौरान चाल धंसने से 4 ग्रामीणों की मौत, आधा दर्जन लोग घायल, मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा Bihar Police Transfer: बिहार के चार जिलों में 1347 पुलिसकर्मियों का तबादला, पिछले 5 साल से एक ही जगह थे तैनात Bihar Police Transfer: बिहार के चार जिलों में 1347 पुलिसकर्मियों का तबादला, पिछले 5 साल से एक ही जगह थे तैनात

बिहार में इंजीनियर्स की भारी किल्लत, ऊंट कर मुंह में जीरा डालकर कैसे रुकेगी बाढ़ - BESA

1st Bihar Published by: Updated Fri, 23 Jul 2021 08:21:48 PM IST

बिहार में इंजीनियर्स की भारी किल्लत, ऊंट कर मुंह में जीरा डालकर कैसे रुकेगी बाढ़ - BESA

- फ़ोटो

PATNA : बिहार भीषण बाढ़ संकट का सामना कर रहा है उत्तर बिहार के कई जिले बाढ़ से प्रभावित है और इस बीच सरकार समय-समय पर इंजीनियरों की भूमिका पर सवाल खड़े करती रही है। ऐसे में अब बिहार में सरकारी इंजीनियरों के संगठन बेसा ने सरकार को आईना दिखा दिया है। बेसा ने कहा है कि बिहार में इंजीनियरों की भारी कमी है और 44 प्रतिशत से भी कम इंजीनियरों पर बाढ और सिंचाई परियोजनाओ की जिम्मेवारी तकनीकी श्रम बल का शोषण के अलावे और कुछ भी नहीं है। 


बेसा ने बयान जारी करते हुए कहा है कि जल संसाधन विभाग की तरफ हजारों करोड़ की बाढ एवं सिंचाई परियोजनाओ का निर्माण एवं प्रबंधन किया जाता है। लेकिन सरकार यह स्पष्ट करने में विफल रही है कि 44 प्रतिशत अभियंताओ से 100 प्रतिशत कार्य की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? अगर इसे तकनीकी श्रम बल का शोषण कहा जाय तो क्या यह गलत है? बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ के महासचिव डा सुनील कुमार चौधरी ने सरकार की अभियंताओ के प्रति इस तरह की अवैज्ञानिक एप्रोच वाली नीति पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि योजनाओ का आकार कई गुणा बढ चुका है जिसके आलोक मे अभियंताओ की संख्या तिगुना करने की आवश्यकता है।परन्तु अभियंताओ की संख्या बढाने की बजाय उनपर कार्य बोझ बढाया जा रहा है। 


बेसा ने आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि जल संसाधन विभाग में अभियंता प्रमुख के 100 प्रतिशत, मुख्य अभियंता के 48 प्रतिशत, अधीक्षण अभियंता के 36 प्रतिशत, कार्यपालक अभियंता के 28 प्रतिशत एवं सहायक अभियंता के 66 प्रतिशत यानी कुल अभियंताओ के औसतन 56 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं। इसके अलावे इंजीनियरों के लिए बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। कई सालों से क्षेत्रीय कार्यालयो में  तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है जिससे कर्मचारियों की भारी कमी है। जहाँ एक तरफ मूलभूत सुविधाओं से महरूम एवं अभियंताओ एवं कर्मचारियों के असाधारण कमी के बीच अभियंतागण दिन रात एक कर बाढ और सिंचाई परियोजनाओ का निर्माण एवं अनुरक्षण का कार्य कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना "हर खेत को पानी" मे जल संसाधन विभाग के अभियंताओ को नोडल पदाधिकारी की जिम्मेवारी देकर पहले से ही कार्य बोझ तले दबे अभियंताओ  की मुश्किलें बढाकर तकनीकी श्रमबल का शोषण किया जा रहा है।।सरकार के इस कदम से जल संसाधन विभाग के अभियंताओ में भारी आक्रोश है।अत्यधिक दबाव में कार्य करने से अभियंता तरह तरह की बिमारी का शिकार होंगे,असमय काल कवलित होंगे, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, अभियंताओ पर गैर वाजिब कारवाई की तलवार लटकती रहेगी एवं कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकेगा जो अन्ततः बिहार के विकास को प्रभावित करेगा। 


बेसा ने कहा है कि सरकार यह भी स्पष्ट करने मे विफल रही है कि नीति निर्माताओ की गलती के कारण परियोजनाओ मे हुई चूक का ठीकरा अभियंताओ पर फोड कर उन्हे क्यो दण्डित किया जाता है? अभियन्त्रण सेवा संघ मांग करता है कि जल संसाधन विभाग के शीर्ष पद पर अभियंता की तैनाती हो जो तकनीकी बारीकियो के हिसाब से परियोजनाओ को अमलीजामा पहनावे, परियोजनाओ के सफल क्रियान्वयन के मद्देनजर पदो की संख्या तिगुनी की जाय, अभियंताओ के खाली पड़े पदों को अविलंब भरने की कारवाई की जाय,अभियंताओ के प्रति पनिशिन्ग एप्रोच त्याग कर प्रिवेन्टिव एण्ड अवार्डिग एप्रोच अपनायी जाय तथा अभियंताओ को मूलभूत सुविधाओं से लैस किया जाय ताकि अभियंतागण पूरे जोश, जज़्बा एवं दृढ इच्छा शक्ति से बाढ एवं सिंचाई परियोजनाओ को अमलीजामा पहनाकर बिहार के विकास को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके।