PATNA : 2018-19 में आयकर विभाग ने लालू और उनके परिवार के नाम पर 6 से ज्यादा बेनामी संपत्तियों को जब्त किया था। तब आयकर विभाग ने जिस कानून की मदद से इन संपत्तियों को जब्त किया था, उसे अब असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है। इससे लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की कई संपत्तियां बेनामी संपत्ति एक्ट के दायरे से बाहर आ गयी हैं। हालांकि, मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उन मामले में कार्रवाई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इडी ने 2018-19 में पीएमएलए कानून के अंतर्गत लालू परिवार की पटना से दिल्ली तक 6 से ज्यादा प्राॅपर्टी को जब्त किया था, जिसे अब रिहा करना होगा।
अगर आपको बेनाम संपत्ति के बारे में नहीं पता तो हम आपको ये जानकारी भी दे देते हैं। ऐसी प्रॉपर्टी, जो किसी और के नाम पर हो और उसका भुगतान किसी और ने किया हो। ऐसी संपत्ति को बेनाम संपत्ति करार किया जाता है। गणपति डीलकॉम मामले की सुनवाई करते हुए कोलकाता हाइकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त, 2022 को बेनामी संपत्ति (संशोधित) कानून 2016 को लेकर अहम फैसला सुनाया था।
अब पांच सितंबर, 1988 से लेकर 25 अक्तूबर, 2016 के बीच जितनी भी बेनाम संपत्ति खरीदी गयी है, उनपर कार्रवाई नहीं की जाएगी। वहीं, 26 अक्टूबर 2016 से खरीदी गयी बेनामी संपत्ति पर क़ानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती ने राहत की सांस ली है। लालू प्रसाद की चर्चित संपत्ति पटना में एयरपोर्ट के पास केंद्रीय विद्यालय के सामने स्थित गेस्ट हाउस, धनौत क्षेत्र में 6 से ज्यादा प्लॉट और सगुना मोड़ इलाके में बने मॉल अब बेनामी संपत्ति एक्ट के दायरे से बाहर आ गयी हैं।