ब्रेकिंग न्यूज़

जब तक 5000 करोड़ से PMCH का निर्माण चलता रहेगा तब तक पद पर बने रहेंगे अधीक्षक IS ठाकुर, तेजस्वी ने सरकार पर बोला हमला BIHAR: जमुई में होमगार्ड भर्ती पर धांधली का आरोप, अभ्यर्थियों ने डीएम से की निष्पक्ष जांच की मांग Bihar News: निगरानी कोर्ट ने भ्रष्ट दारोगा को सुनाई सजा, रिश्वत लेते हुआ था गिरफ्तार गयाजी में अनियंत्रित स्कार्पियो ने बुजुर्ग को रौंदा, मौत से गुस्साए लोगों ने किया सड़क जाम हंगामा BIHAR: गया जी पुलिस ने की बड़ी कार्रवाई: नक्सलियों के नाम पर लेवी मांगने वाले 4 कुख्यात अपराधियों को दबोचा बिहार में एक और फोरलेन सड़क और पुल निर्माण की मंजूरी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दी हरी झंडी Census 2026-27: दो चरणों में होगी देश की जनगणना, पहली बार जातीय आंकड़े भी होंगे शामिल! VIP नेता संजीव मिश्रा ने PHED विभाग के अधिकारियों की लगाई क्लास, कहा..बिहार में नल-जल योजना पूरी तरह फ्लॉप Parliament Monsoon Session2025: 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा संसद का मॉनसून सत्र, विपक्ष की विशेष सत्र की मांग पर सरकार ने दिया जवाब Vande Bharat Patna Bhopal: बिहार की जनता को मिलने वाली है एक और वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात!

Begusarai News: बेगूसराय में दुर्गा पूजा की धूम, मुस्लिम कलाकारों ने केदारनाथ के तर्ज पर बनाया भव्य पंडाल

1st Bihar Published by: HARERAM DAS Updated Thu, 10 Oct 2024 10:26:27 PM IST

Begusarai News: बेगूसराय में दुर्गा पूजा की धूम, मुस्लिम कलाकारों ने केदारनाथ के तर्ज पर बनाया भव्य पंडाल

- फ़ोटो

BEGUSARAI: शारदीय नवरात्र के महाअष्टमी के मौके पर देशभर में दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है। देशभर में एक से बढ़कर एक पंडाल बनाये गये हैं जिसमें माता रानी की भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी है। बिहार के बेगूसराय में मुस्लिम कलाकारों ने केदारनाथ के तर्ज पर भव्य पंडाल बनाया है जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। इस पंडाल को देखकर हर कोई हैरान है। लोग कलाकारों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। बेगूसराय जिले के तंत्र नगरी कही जाने वाली बखरी में अवस्थित पुरानी दुर्गा मंदिर इन दोनों आस्था के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द के लिए चर्चा में है । 


दरअसल बखरी के पुरानी दुर्गा स्थान को केदारनाथ की तर्ज पर सजाया गया है और इसको  सजाने वाले सभी कलाकार मुस्लिम कलाकार हैं। गौरतलब है की पुरानी दुर्गा स्थान जहां तंत्र सिद्धि के लिए देश-विदेश तक प्रसिद्ध है तो इस बार मुस्लिम कलाकारों ने पंडाल की भव्यता को निखार कर सामाजिक सौहार्द का एक नया उदाहरण पेश किया है। 


बखरी का सबसे पुराना दुर्गा स्थान जो श्रद्धालुओं एवं साधकों के लिए सदैव आस्था का केंद्र रहा है । यह मंदिर कितना पुराना है इसकी कोई ऐतिहासिक प्रमानता नहीं मिलती लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार तकरीबन 600 साल से भी अधिक पुराना इस मंदिर का इतिहास है । कहा जाता है कि राजा भोज एवं परमार वंश के राजाओं ने इस मंदिर की स्थापना की थी और तब से यहां विशिष्ट तरीके से पूजार्चना की जाती है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आने वाले श्रद्धालु कभी निराश नहीं होते और सच्चे मन से जिसने माता की आराधना की एवं अपनी मनोकामना रखी उनकी मनोकामना सदैव पूर्ण हुई है । 


खासकर अष्टमी के दिन यहां बिहार के अलावे उड़ीसा बंगाल झारखंड उत्तर प्रदेश सहित नेपाल तक के श्रद्धालु पहुंचते हैं एवं अपनी तंत्र साधना की सिद्धि प्राप्त करते हैं । पिछले कई बरसों से बनारस से आए पुजारी के द्वारा यहां संध्या आरती का भी आयोजन किया जाता है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जमा होते हैं। 


स्थानीय लोगों के अनुसार पूर्व में यहां जिस स्थान पर मंदिर है वहां से कमला नदी की धार बहती थी लेकिन राजा भोज के समय ही कमला नदी की धार को मोड़कर यहां बखरी की स्थापना की गई थी और राजाओं के वंशजों के द्वारा लाई गई मूर्ति कोई यहां स्थापित किया गया था। लेकिन बाद में आपसी मतभेद के बाद अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई लेकिन तब देवी ने स्थानीय पुजारी को स्वप्न में यही मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करने का आदेश दिया और तब से यह प्रथा चली आ रही है । यूं तो पूरे वर्ष यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं एवं पूजा अर्चना करते हैं ।


 इस बार मुस्लिम कलाकारों ने हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है । कलाकारों के अनुसार आज एक तरफ जहां पूरे देश में लोग हिंदू और मुस्लिम के नाम पर मतभेद पाले हुए हैं वहीं बखरी के पुरानी दुर्गा स्थान में मुस्लिम कलाकारों के द्वारा सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश की गई है। कलाकारों ने पुरानी दुर्गा स्थान में बाबा केदारनाथ की तर्ज पर पंडाल का निर्माण किया है । मुस्लिम कलाकारों के अनुसार दुर्गा पूजा सामाजिक सौहार्थ एवं आस्था का पर्व है और इसे हिंदू मुस्लिम दोनों साथ-साथ मिलकर मनाते हैं ।