PATNA : बिहार में इन दिनों शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को लेकर काफी बवाल मचा हुआ। नीतीश कैबिनेट के मंत्री लगातार पाठक के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं। पहले शिक्षा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव को पीत पत्र भेजा और अब इसके बाद कुछ दिनों पहले ही नीतीश कैबिनेट में शामिल हुए एससी एसटी मंत्री रत्नेश सदा ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है।
रत्नेश सदा ने कहा कि शिक्षा विभाग में सरकार के जो प्रधान सचिव हैं और संयुक्त सचिव हैं। उन्होंने जो पत्र जारी किया है उससे पहले उनको समझना चाहिए कि जो टीचर डेढ़ लाख रुपया दो लाख वेतन उठाते हैं। तीस हजार से लेकर चालीस हजार और पचास हजार उन शिक्षकों को जवाब देना चाहिए। न कि महादलित के बच्चे और बच्चियां जो टोला महासेवक को।
शिक्षा विभाग की तरफ से जो नियम जारी किया गया है वह महादलित के साथ अन्याय करने का काम कर रहा है। विद्यालय में 90% बच्चों की उपस्थिति नहीं होने पर अनुदान राशि में 25% की कटौती करना कभी भी उचित नहीं हो सकता है। पहले ही महादलित टोला सेवकों को बहुत कम पैसे दिए जाते हैं।
रत्नेश सदा ने कहा कि, महादलित टोला सेवक द्वारा पढ़ाए जाने वाले बच्चों की 90% उपस्थिति होनी चाहिए उपस्थित नहीं होने पर अनुदान राशि में 25% कटौती करने का जो फरमान जारी किया गया है यह उचित नहीं कहा जा सकता है। इस तरह का फरमान जारी कर के के पाठक मनमानी कर रहे हैं। उनका यह व्यवहार अशोभनीय है। इसको लेकर हम मुख्यमंत्री से बात करेंगे उसके बाद अब यह बात सही ढंग से बताएंगे।