PATNA : बिहार में बालू माफिया पर लगाम लगाने के लिए नीतीश सरकार ने कमर कस ली है। प्रदेश में बालू खनन से जुड़े संवेदनशील स्थलों की पहचान होगी। यही नहीं, इन संवेदनशील स्थलों की कड़ी निगरानी भी होगी। इसके लिए यहां स्थाई चेकपोस्ट बनाए जाएंगे। यह निर्णय सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह जिलों में बनने वाले चेकपोस्ट योजना का ही विस्तारित रूप होगा। इसके तहत संवेदनशील स्थलों पर अलग से स्थाई चेकपोस्ट बनेंगे।
दरअसल, पिछले कुछ दिनों में अवैध बालू खनन को लेकर शिकायतें बढ़ी हैं। यही नहीं सुरक्षा बलों पर बालू माफिया की ओर से हिंसक हमलों की शिकायतें लगातार आ रही हैं। इससे सरकार नाराज है। ऐसे में संवेदनशील स्थलों की नए सिरे से पहचान कर वहां निगरानी बढ़ाने की योजना है। ऐसे में मुख्य सचिव ने राज्य में बालू के अवैध खनन और बालू के ओवरलोड वाहनों के अवैध परिचालन को लेकर सभी जिलों के साथ बैठक की थी। उन्होंने इस समस्या के निराकरण को लेकर भी कई दिशा-निर्देश दिये थे। इसमें संवेदनशील स्थलों की नए सिरे से पहचान करने को कहा गया है।
वहीं, मुख्य सचिव के निर्देश के बाद खान एवं भूतत्व विभाग ने इस संबंध में पहल शुरू कर दी है। बीते दिनों विभाग के निदेशक ने 19 जिलों के क्षेत्रीय पदाधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक की थी। इनमें पटना, भोजपुर, रोहतास, जमुई, औरंगाबाद, गया, बांका, सारण, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, अरवल, मधुबनी, नालंदा, किशनगंज, भागलपुर, बेतिया, मुजफ्फरपुर और कैमूर शामिल हैं।
उधर इस बैठक के बाद पटना जिले में चार पुलिस पिकेट बनाने की योजना पर भी पहले से काम हो रहा है। इसके लिए जमीन चिह्नित की जा रही है। राज्य मुख्यालय ने इन चारों पुलिस पिकेट के लिए जमीन का पूरी जानकारी उसके खाता-खेसरा सहित मांगी थी। राज्य में बालू खनन एवं परिवहन के लिए 10 जिले प्रमुख हैं। इनमें पटना, रोहतास, औरंगाबाद, भोजपुर, बांका, जमुई, सारण, नवादा, कैमूर और गया शामिल हैं। यहां चेकपोस्ट बनाने की पहले से योजना है। इन जिलों में इसके लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है।