DELHI : भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने अयोध्या नहीं जा रहे हैं। वह दिल्ली स्थित अपने आवास से ही भव्य समारोह का आनंद लेंगे। 96 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी ने बढ़ी हुई ठंड और अपने स्वास्थ्य के चलते यह फैसला लिया है। उनके जाने का कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से अचानक ही इसमें बदलाव करना पड़ा।
दरअसल, लालकृष्ण आडवाणी को पिछले दिनों विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, संघ नेता रामलला समेत कई लोगों ने उनके घर पर जाकर आमंत्रण पत्र दिया था।तब यह बात कही गई थी कि लालकृष्ण आडवाणी भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे। लेकिन उन्हें ऐन वक्त पर अपना प्लान बदलना पड़ा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने बढ़ी हुई ठंड और अपनी तबीयत को देखते हुए यह फैसला लिया है।
वहीं, लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे। सोमनाथ से अयोध्या तक कि उनकी रथयात्रा ने एक दौर में पूरे देश में माहौल बना दिया था। यही नहीं उनके नेतृत्व में ही भाजपा नेताओं की एक पूरी पीढ़ी तैयार हुई थी, जिसने राम मंदिर आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया था। इन नेताओं में विनय कटियार, उमा भारती, कल्याण सिंह जैसे नेता थे।
मालूम हो कि, लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक सफर में राम रथ यात्रा मील का पत्थर साबित हुई थी। यही नहीं 1984 में 2 सीटें जीतने वाली भाजपा ने 1989, 1991 और फिर लगातार चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया और बहुमत भी हासिल किया। लालकृष्ण आडवाणी को देश की एकध्रुवीय राजनीति को दो ध्रुवों में बदलने का श्रेय दिया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी ने दशकों तक भाजपा को आगे बढ़ाया था और केंद्र में सरकारें भी बनीं। 1999 से 2004 तक तो पूरे 5 साल की एनडीए की सरकार भी दोनों नेताओं ने मिलकर चलाई।