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1st Bihar Published by: AKASH KUMAR Updated Sun, 09 May 2021 04:30:00 PM IST
AURANGABAD: बिहार में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। आपदा की इस घड़ी में लोग अपने जनप्रतिनिधियों को तलाश रहे हैं। अपने बहुमूल्य वोट देकर लोगों ने उन्हें सत्ता के सिंघासन पर इसलिए बैठाया कि वे बुरे वक्त में उनका साथ देंगे लेकिन कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जनता को मरने के लिए छोड़ सभी अंडरग्राउंड हो गये है। जिन्हें ढूंढने के लिए लोग आज निकल पड़े हैं।
हम बात कर रहे हैं औरंगाबाद की जहां लोग गुमशुदा हुए अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक और विधान पार्षद को ढूंढ रहे हैं। हाथों में बैनर लिए औरंगाबाद की जनता ने अपने जनप्रतिनिधियों को खोजते फिर रहे हैं। आक्रोशित लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता आज विपदा की घड़ी में लापता हो गये हैं।
एक ओर वैश्विक महामारी से जिले की जनता जूझ रही है। कोरोना संक्रमण से अब तक जिले में 60 लोगों की मौतें हो गयी है। कई अभी भी जिन्दगी और मौत से जुझ रहे हैं। लेकिन इन्हें देखने वाला औरंगाबाद में कोई जनप्रतिनिधी नहीं है। जिसे लेकर लोग काफी आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि जब हमें उनकी जरूरत है तो वे नजर नहीं आ रहे हैं। अब तो हद हो गई उन्होंने फोन तक बंद कर दिया है।
औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह, काराकाट सांसद महाबली सिंह, औरंगाबाद विधायक आनंद शंकर सिंह, नवीनगर विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू, कुटुम्बा विधायक राजेश राम, गोह विधायक भीम यादव, रफीगंज विधायक मो. नेहालुद्दीन और विधान पार्षद राजन सिंह को क्षेत्र की जनता बेसब्री से ढूंढ रही है।
लोगों का कहना है कि किसी भी आपदा के वक्त क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से ही मदद की उम्मीद रहती है। लेकिन ऐसे वक्त में यदि वे मुंह फेर लें तो नाराजगी होना लाजमी है। औरंगाबाद की जनता इन दिनों इस महामारी से काफी परेशान हैं। अब तक 60 लोगों की असमय मौत हो चुकी है। वही कई लोग अब भी संक्रमित है और जिन्दगी और मौत से लड़ रहे हैं।
औरंगाबाद में दो सांसद, छह विधायक और एक विधान पार्षद हैं। इसके बावजूद कोरोना महामारी में कोई मदद नहीं मिल रही है। कोरोना काल में एक भी नेता दिखाई नहीं दे रहे हैं। चुनाव में बड़े-बड़े वादे करने वाले सांसद, विधायक और विधान पार्षद सभी लापता हैं। बुद्धीजीवी मंच के बैनर तले आज जन आक्रोश मार्च लोगों ने निकाला।
लोगों का कहना है कि अब तक किसी भी इलाके को सैनिटाइज नहीं किया गया है। सदर अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल है। ना कोई दवाई मिल रही और ना ऑक्सीजन या फिर कोई सुविधा ही कोरोन संक्रमित मरीजों को नसीब हो पा रही है। औरंगाबाद में जनप्रतिनिधि सिर्फ नाम के रह गये हैं। जिले में लोग कोरोना से मर रहे हैं लेकिन जनप्रतिनिधि कान में रुई डालकर बैठे हैं। जनप्रतिनिधियों की तरह से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। लोग उन्हें बेसब्री से खोज रहे हैं।
क्षेत्र की जनता का कहना है कि कोरोना काल में लापता हो गये अब तो आ जाओ प्रभु...चुनाव में बड़े-बड़े वादे किये थे आप लोग...कहां गया आपका वादा इस काम में जब लोगों को आवश्यकता पड़ी कहीं ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। मिलना तो दुर फोन भी नहीं उठ पा रहे हैं। लौट आओ तुम औरंगाबाद में यहां कोई ना तुम से ना ऑक्सीजन मांगेगा, ना तुमसे फंड मांगेगा, ना कोई एम्बुलेंस मांगेगा, ना तुम्हारी शिकायत करेगा, ना कोई तुम से दवा मांगेगा, ना कोई खाना ही मांगेगा। चुनाव के समय एक-एक खुन देने का वादा किया था आपने...ऐसे में ना कोई तुमसे खुन ही मांगेगा...कहां गया तुम्हारा वादा...न कोई तुमसे विकास मांगेगा ना कोई तुमसे कफन का पैसा ही मांगेगा....आप जैसे जनप्रतिनिधियों पर औरंगाबाद की जनता का यही कहना है।