AURANGABAD: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा असैनिक न्यायाधीश कनीय कोटि के पद पर बहाली के लिए ली गई 32वीं बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में औरंगाबाद की बिटिया निश्चया ने भी सफलता का परचम लहराया है। शहर के श्रीकृष्ण नगर की निश्चया ने पहले ही प्रयास में ही यह सफलता हासिल की है। उसकी इस सफलता पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
निश्चया के पिता नीलमणि कुमार सामाजिक कार्यकर्ता है जबकि मां रंजू कुमारी नियोजित शिक्षिका हैं। निश्चया की सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है और सभी उसे बधाई और शुभकामना दे रहे हैं। निश्चया ने फर्स्ट बिहार से बातचीत करते हुए कहा कि उसने दसवीं तक की पढ़ाई औरंगाबाद के डीएवी स्कूल से पूरी की और इंटर बिहार बोर्ड से की। बाद में क्लैट की परीक्षा पास कर बेंगलुरू के केएलई कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की फिर अहमदाबाद के नेशनल लॉ कॉलेज से एलएलएम किया। इसके बाद जेआरएफ-नेट की परीक्षा को भी क्वालिफाई किया।
इतना ही नहीं फिलहाल पटना विश्वविद्यालय में साक्ष्य और संविधान पर शोध करते हुए उन्होंने पीएचडी किये जाने की बात भी साझा की। इन सबके बावजूद इस बेटी ने बिहार ज्यूडिसियल सर्विसेज की वैकेंसी आते ही फॉर्म फिलअप कर दिया। लगन से पढ़ाई करने के बाद पीटी बाद में मेंस और इंटरव्यू के बाद फाइनल रिजल्ट में जब वह 43वें नंबर पर आई तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह अपनी सफलता से बेहद खुश है और इसका श्रेय उसके माता-पिता और पूरे परिवार को देती है। सबने मिलकर मेरा मार्गदर्शन किया।
इधर अपनी बेटी की सफलता से निश्चया के पिता बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि शुरू से ही न्यायिक सेवा में जाने का इसने संकल्प ले रखा था और आखिरकार इसने अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत इस सफलता को हासिल कर ही लिया। निश्चया के दादा भी इस सफलता से फुले नहीं समा रहे हैं और वे कहते है कि जब पोती ने लॉ की पढ़ाई शुरु की तो उसी वक्त से मुझे यह उम्मीद थी कि यह होनहार बच्ची एक न एक दिन कुछ ऊंचा मुकाम जरूर हासिल करेगी ।