DESK : आखिर बिहार की पुलिस अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को ही बार-बार क्यों फंसा देती है. कभी चुनाव में हिंसा के लिए तो कभी सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए. इस बार तो ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. हर बार की तरह इस बार भी अर्जित शाश्वत चौबे ने कहा है कि उन्हें पुलिस ने बेवजह फंसा दिया है.
केंद्रीय मंत्री के बेटे पर इस कदर जुल्म!
दरअसल, अर्जित शाश्वत चौबे ने आरोप लगाया है कि पटना पुलिस ने उन्हें ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले में फंसाया है. पटना पुलिस ने अर्जित चौबे के घर पर चालान भेजा है. एक तो उन्होंने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया और फिर गाड़ी भगा ले गये. मीडिया से बात करते हुए अर्जित ने कहा है-""मैंने कोई भी नियम नहीं तोड़ा. पुलिस ने बहुत ही अभद्र तरीके से मेरी गाड़ी रोकी , गाड़ी के ऊपर हाथ से शीशे पर धक्का देकर गाड़ी रोकी गयी थी. मैंने पुलिसवालों को कहा भी कि ये किसी को रोकने का सही तरीका नहीं है. उसके बाद मैंने किनारे में गाड़ी रोक दी और पुलिस वालों से 2-3 बार कहा कि आप जांच कर लीजिए. शाश्वत ने कहा- "" मैं गाड़ी चला रहा था और आगे की सीट पर मेरी पत्नी बैठी थी. दोनों ने सीट बेल्ट लगा रखी थी. मैं अपनी बेटी को लेकर डॉक्टर के पास जा रहा था तब मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया.""
अर्जित के मुताबिक एक पुलिसकर्मी आया और उसने कहा कि आप लोग क्यों रुके हैं. किसने रोका है, आप जाइए. इसके बाद वे वहां से निकल गये. अर्जित ने कहा कि जब हमारे पेपर चेक ही नहीं हुए तब पुलिस कैसे कह सकती है कि पेपर्स नहीं थे. अर्जित कह रहे हैं कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है. वैसे अब तक उन्हें कोई चालान नहीं मिला है.
उधर पटना पुलिस कह रही है कि अर्जित शाश्वत चौबे ने ट्रैफिक नियमों को तोड़ा. उनकी गाड़ी को छोड़ने के आरोप में दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है. उसके बाद उनके घऱ चालान भेज कर जुर्माना भरने को कहा गया है.
अर्जित शाश्वत चौबे को 'फंसाने' का ये पहला मामला नहीं
अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को कथित तौर पर फंसाने का ये पहला मामला नहीं है. पिछले साल उन पर भागलपुर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप लगा था. पुलिस ने उन पर केस दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू की तो केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और अर्जित दोनों ने पुलिस पर फंसाने का आरोप लगाया. हालांकि अर्जित को पुलिस के सामने सरेंडर कर जेल जाना ही पड़ा. इससे पहले 2015 में अर्जित चौबे ने भागलपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा था. तब एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में हिंसा हो गयी थी. इस मामले में भी अर्जित और अश्विनी चौबे ने पुलिस पर फंसाने का आरोप लगाया था.
अपनी ही सरकार फिर भी बार-बार क्यों फंसा रही है पुलिस
बिहार में भाजपा और जदयू की साझा सरकार है. अश्विनी चौबे केंद्र में मंत्री हैं. फिर भी उनके ही बेटे को अपनी ही पुलिस बार-बार क्यों फंसा रही है. अगर सुशासन की पुलिस इतना जुल्मी हो गयी है कि एक केंद्रीय मंत्री के बेटे को बार-बार फंसा रही है तो फिर मामला बेहद संवेदनशील है.