DELHI: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. एक कार्यक्रम के दौरान आर्मी चीफ ने कहा कि भीड़ को दंगे के लिए भड़काना कोई लीडरशीप नहीं है. जनरल रावत ने हिंसक प्रदर्शन में कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के शामिल होने पर भी सवाल उठाए.
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि, 'नेता वो नहीं होते हैं जो लोगों को गलत दिशा में ले कर जाए. जैसा कि हम देख रहे हैं कि बड़ी संख्या में कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. ये सब हिंसा कर रहे हैं, सरकारी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ये कोई लीडरशिप नहीं है.' आर्मी चीफ के इस बयान पर अब सियासी बवाल शुरू हो गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने जनरल बिपिन रावत पर निशाना साधा है. ओवैसी ने तो आर्मी चीफ को अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने की नसीहत दे डाली.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'नेतृत्वकर्ता वह नहीं होता है जो लोगों को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करे. आर्मी चीफ नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन पर, मैं आपसे सहमत हूं जनरल साहब, लेकिन नेता वह भी नहीं हो सकता जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक आधार पर नरसंहार के लिए भड़काए. क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहब?' वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'अपने ऑफिस के प्रभाव क्षेत्र को समझना भी लीडरशिप है. यह (लीडरशिप) नागरिक की सर्वोच्चता को समझना और जिस संस्था के प्रमुख आप हैं उसकी गरिमा को ठीक से जानना भी है.'