बिहार भाजपा के नए नवले प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने एक बड़ा ही अनोखा बयान दिया है। यह अपने मुहं मियां मिठ्ठू बनने के चक्कर में खुद के सहयोगियों पर भी अनोखा बयान दिए हैं। इन्होंने कहा है कि वर्तमान में राजनीति का स्तर काफी नीचे गिर गया है। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपनी विरोधी पार्टी बल्कि खुद की पार्टी और सहयोगी पार्टी पर भी ऐसा करने का आरोप लगाया है।
दिलीप जायसवाल ने कहा कि राजनीति का स्तर बेहद ही घटिया हो चुका है। सभी पार्टियां समाज को जात-पात और धर्म में बांट रही हैं। राजनीति की सोच भी बेहद गिरती जा रही है। यही कारण है कि सभी दल समाज को जात-पात, धर्म में बांट रहे हैं।’ उनकी यह बात न सिर्फ राजद और कांग्रेस के लिए बल्कि भाजपा, जदयू और लोजपा (आर) के साथ ही साथ हम के लिए भी थी।
इसके आगे उन्होंने कहा कि मैं नेता के ही रुप में बोल रहा हूं...नहीं तो कभी-कभी होता है कि दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। मैं कह रहा हूं कि सभी राजनीतिक दल एक माहौल बनाते जा रहे हैं कि उनको सत्ता किसी तरह मिल जाए। मैं उपर वाले से आज सिर्फ यही दुआ करता हूं कि आप उपर से सिर्फ यहीं आदेश दें कि नेतागिरी करने के लिए, सत्ता पाने के लिए हम आपस में समाज में नहीं बंटे। आज इतना ही कहना है।' दिलीप ने यह कहा कि 'मैं कोई एक दल पर आरोप नहीं लगा रहा हूं।
मालूम हो कि, दिलीप जायसवाल कलवार जाति से ताल्लुक रखते हैं। इनकी केंद्रीय नेतृत्व से भी खासी नजदीकियां हैं। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी करीबी माना जाता है। लिहाजा यह बिहार की एनडीए सरकार में राजस्व मंत्री हैं। वे 2009 में पहली बार एमएलसी बने थे. उसके बाद वे अब तक तीसरी बार विधान परिषद सदस्य चुने गए हैं। लेकिन, सवाल यह है कि जब उन्हें इस बात की जानकारी है की अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है तो फिर ऐसा बयान क्यों? क्या वह सच में अपने मुहं मियां मिठ्ठू बन रहे हैं या फिर संगठन ही शक्ति मानने वाली पार्टी ने कुछ लंबा प्लान किया है आगामी चुनाव को लेकर?
बहरहाल, अब बात कुछ भी हो लेकिन जिस तरह से दिलीप ने यह बयान दिया है इससे न सिर्फ विरोधी की टेंशन बढ़ने बल्कि खुद के सर भी ओले पड़ सकते हैं। क्योंकि विपक्ष इसे बैठे -बिठाए मुद्दा बना सकती है और कह सकती है कि जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही खुद यह कह रहे हैं कि पार्टी जात-पात करती है और राजनीति का स्तर गिर गया है तो फिर इनपर आखिर भरोसा क्यों किया जाए। हालांकि, ऐसा भी हो सकता है की दिलीप को कोई बड़े पदाधिकारी से प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह निर्देश मिला हो और वह इसका पलान कर रहे हो। अब बात जो भी है कि लेकिन इस तरह का बयान राजनीतिक अस्थिरता कायम कर सकती है।