अंतिम समय तक निभाया साथ: पत्नी की मौत के बाद पति ने तोड़ा दम, एक साथ उठी दोनों की अर्थी

अंतिम समय तक निभाया साथ: पत्नी की मौत के बाद पति ने तोड़ा दम, एक साथ उठी दोनों की अर्थी

ROHTAS: कहते हैं कि प्रेम सास्वत होता है। खासकर पति-पत्नी के बीच संबंधों के तार अगर जुड़े होते हैं तो वह अंतिम समय तक साथ रहते हैं। ऐसा ही मामला एक बिहार के रोहतास जिले से सामने आई हैं। जहां करगहर के बकसरा पंचायत के तेंदुनी में सेवानिवृत्त शिक्षक लल्लन पांडे की पत्नी 60 वर्षीय सामदेयी देवी का निधन हो गया था। जैसे ही अपनी पत्नी के निधन की सूचना ललन पांडेय को लगी। वह बदहवास हो गए और दौड़ते दौड़ते अपनी मृत पत्नी के पास पहुंच गये।


अपनी पत्नी का मृत चेहरा देखकर वह गहरे सदमे में चले गए। इसी ललन पांडेय बेहोश हो गए और मूर्छित होकर आंगन में ही गिर पड़े। लोग उनके चेहरे पर पानी की छिंटने लगे लेकिन वो उठने का नाम नहीं ले रहे थे। जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें परिजन अस्पताल ले जाने लगे लेकिन तब तक पत्नी की लाश के पास ही उन्होंने दम तोड़ दिया। बुजुर्ग पत्नी के मौत का सदमा ललन पांडेय बर्दाश्त नहीं कर सके और उनकी मौत हो गयी। जिसके बाद घर से एक साथ दोनों पति पत्नी की अर्थी उठी। 


एक ही साथ पति-पत्नी की अर्थी उठते देख पूरा गांव सन्न रह गया. अपनी पत्नी के वियोग में सेवानिवृत्त शिक्षक की मौत की खबर जंगल की आग की तरह पूरे गांव में फैल गई. देखते-देखते आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गए. सभी के मुंह से दंपति के आपसी प्रेम की चर्चा होने लगी. जीते जी तो साथ निभाया, लेकिन मरने के बाद भी पत्नी के साथ खुद प्राण त्याग परलोक सिधार जाने पर ललन पांडेय की चर्चा हो रही है. 


इन दोनों को जानने वाले कहते हैं कि दंपति के बीच दोस्ती सा रिश्ता था. दोनों एक दूसरे के साथ मित्रवत व्यवहार करते थे. एक दूसरे के दुख को देख कर दुखी होते थे तथा घर में कोई खुशियां आती तो दोनों साथ मिलकर खुश भी होते थे. लेकिन जब पत्नी स्वर्ग सिधार गई, तो पति ललन पांडे सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके और पत्नी की के निधन के उपरांत खुद भी दम तोड़ दिया.


वाराणसी में एक साथ एक ही अर्थी पर हुई अंत्येष्टि


मृतक दंपति को गांव में कंधा देने के लिए होड़ मच गई. लोग दम्पति के प्रेम की मिसाल देते थकते नहीं दिखे. परिजनो के साथ भारी संख्या में ग्रामीण भी अंतिम यात्रा में शामिल हुए. बता दें कि दंपति का अंत्येष्टि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ. जहां एक ही अर्थी पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया. इस दृश्य को देखकर सभी की आंखें नम हो गई. लेकिन जाते-जाते अपने पीछे प्रेम और समर्पण की एक लंबी कहानी छोड़ गए.