अनंत सिंह की विधायकी पर संकट, सजा के एलान से पहले समर्थकों में छाई खामोशी

अनंत सिंह की विधायकी पर संकट, सजा के एलान से पहले समर्थकों में छाई खामोशी

PATNA : पटना की अदालत में विधायक अनंत सिंह को एके-47 बरामदगी मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट इस मामले में 21 जून को सजा का ऐलान करेगा लेकिन उसके पहले अनंत सिंह को दोषी करार दिए जाने के बाद उनके परिवार से लेकर समर्थकों तक के बीच मायूसी छाई हुई है। पटना का सरकारी आवास हो या फिर अनंत सिंह का गांव जहां कहीं भी उनके समर्थक हैं हर तरफ केवल खामोशी छाई हुई है। फर्स्ट बिहार ने एके-47 बरामदगी मामले में अनंत सिंह को दोषी करार दिए जाने के बाद पटना के माल रोड स्थित उनके सरकारी आवास का जायजा लिया है। सरकारी आवास पर परिवार का कोई सदस्य से बातचीत करने के लिए मौजूद नहीं हैं। थोड़े बहुत जो समर्थक हैं वो भी सजा का एलान होने से पहले कुछ बोलना नहीं चाहते हैं। अनंत सिंह कभी जहां अपना दरबार लगाया करते थे और छोटे सरकार के संबोधन के साथ उनका दरबार सकता था, आज वहां हर तरफ सन्नाटा पसरा है। 


फर्स्ट बिहार ने अनंत सिंह के सरकारी आवास का जायजा लिया तो वहां नजारा पहले से काफी बदला–बदला दिखा। भले ही कोई कुछ बोला नहीं चाहता हो लेकिन अंदर ही अंदर सबके मन में आक्रोश दिखा। सीधी नाराजगी नीतीश सरकार से है, अनंत सिंह के समर्थक मानते हैं कि सरकार में उन्हें जबरदस्ती ऐसे मामलों में फंसाया है। हालांकि कोर्ट इस मामले में अनंत सिंह को दोषी करार दे चुका है। अनंत सिंह को जिस मामले में सजा सुनाई जानी है उस मामले में एलान के साथ उनकी विधायकी पर खतरा मंडरा सकता है। अगर सजा 2 साल से ज्यादा हुई तो अनंत सिंह की विधायक की चली जाएगी। ऐसे में चुनाव हो सकते हैं। 


कानूनी जानकार बताते हैं कि आईपीसी और विस्फोटक अधिनियम की जो धाराएं अनंत पर लगाई गई हैं, उसके मुताबिक उन्हें कम से कम सात साल और अधिकतम -उम्रकैद की सजा हो सकती है। जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, दो साल से अधिक सजा होने पर विधायकी जाने का प्रावधान है। ऐसे में अनंत की विधानसभा की सदस्यता जा सकती है। अनंत सिंह पर आईपीसी की धारा 414 लगाया गया। इसमें 3 साल तक की सजा है। 25 (1) (ए) (बी) आर्म्स एक्ट में 10 साल या जुर्माना के साथ आजीवन कारावास, 25 (1) (ए) आर्म्स एक्ट में कम से कम 7 और अधिकतम 10, 25 (1) (एए) 35 आर्म्स एक्ट में 7 साल या आजीवन कारावास, 3/4 विस्फोटक अधिनियम में 10 साल या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। ऐसे में उनके करीबियों के बीच खामोशी की वजह को समझा जा सकता है।