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ऐसे हो रही है नीतीश की यात्रा: प्रशासन ने सैकड़ों सचिवालय सहायक और शिक्षक अभ्यर्थियों को घरों में नजरबंद करके रखा ताकि विरोध न हो

1st Bihar Published by: Updated Fri, 06 Jan 2023 07:23:20 PM IST

ऐसे हो रही है नीतीश की यात्रा: प्रशासन ने सैकड़ों सचिवालय सहायक और शिक्षक अभ्यर्थियों को घरों में नजरबंद करके रखा ताकि विरोध न हो

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PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा पर निकले हैं. ये ऐसी यात्रा है जिसमें कोई जनसभा या लोगों से मुलाकात का कार्यक्रम नहीं है. फिर भी सरकार को नीतीश के विरोध का डर सता रहा है. लिहाजा नीतीश जिस जिले में जा रहे हैं वहां सचिवालय सहायक औऱ शिक्षक अभ्यर्थियों को घरों में नजरबंद करके रखा जा रहा है.


नीतीश के पश्चिम और पूर्वी चंपारण में नीतीश कुमार के दौरे के दौरान सचिवालय सहायक अभ्यर्थियों और शिक्षक अभ्यर्थियों को पहले ही प्रशासन ने अपने घरों में ही रहने की सख्त हिदायत दे दी थी. बेतिया के सचिवालय सहायक अभ्यर्थी राकेश कुमार ने बताया कि उसे 3 जनवरी को ही स्थानीय थाने में बुला लिया गया था. वहां साफ तौर पर हिदायत दी गयी थी कि अगर मुख्यमंत्री के दौरे के दिन घर से बाहर निकले तो खैर नहीं. राकेश के मुताबिक उनके जैसे कई और युवाओं को स्थानीय पुलिस ने ऐसी ही चेतावनी देकर घरों में बंद रखा था. कई अभ्यर्थियों के घर वालों को भी धमकाया गया था.


उधर आज इस मामले को लेकर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने सरकार पर कड़ा हमला बोला. सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को जनता के विरोध से बचाने के लिए प्रशासन हर हथकंडा अपना रहा है. सुशील मोदी ने कहा कि चंपारण में सचिवालय सहायक परीक्षार्थियों और शिक्षक अभ्यर्थियों को हाउस अरेस्ट कर रखा गया. नीतीश अगर ये सोच रहे हैं कि इससे समस्या का समाधान हो जायेगा तो ये उनकी गलतफहमी है.


नाटक कर रहे नीतीश

सुशील मोदी ने कहा कि पटना में सचिवालय सहायक परीक्षार्थियों पर पुलिस ने लाठियां बरसायी. घटना के 48 घंटे बाद बिहार के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उन्हें लाठीचार्ज की जानकारी ही नहीं है. ऐसे में या तो नीतीश कुमार अनभिज्ञता का नाटक कर रहे हैं या फिर अफसर उन्हें गुमराह कर रहे हैं. दोनों ही बात चिंताजनक है. सुशील मोदी ने कहा कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने लाठीचार्ज को सही करार दिया है. ये संवेदनहीनता का सूचक है.


सुशील मोदी ने कहा कि इससे पहले बीपीएससी का पर्चा लीक हुआ था और 8 साल के इंतजार के बाद जब सचिवालय सहायक की परीक्षा हुई तो उसका भी पेपर लीक हो गया. इससे 9 लाख परीक्षार्थियों में असंतोष होना स्वाभाविक है. उनकी उम्र बढ़ती जा रही है. आखिरकार बिहार में ही बार-बार पर्चा क्यों लीक हो रहा है. पर्चा लीक होने के बाद परीक्षार्थी अगर परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है. सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना लिया है.


सुशील मोदी ने बिहार में बार-बार पर्चा लीक होने के मामलों को सरकार की विफलता करार देते हुए कहा कि रेलवे की परीक्षा में डेढ़ करोड परीक्षार्थी बैठते हैं लेकिन न कभी पर्चा लीक हुआ और ना ही धांधली की शिकायत मिली. बिहार सरकार फूलप्रूफ परीक्षा के लिए केंद्र सरकार की तरह टीसीएस जैसी एजेंसी की सेवा ले सकती है. लेकिन मुख्यमंत्री की रूचि इस समस्या का समाधान करने में नहीं बल्कि समाधान यात्रा की राजनीति करने में है.