PATNA : केंद्र सरकार की तरफ से लागू की गई अग्नीपथ योजना के खिलाफ बिहार में लगातार सियासी बवंडर देखने को मिल रहा है। विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान लगातार विपक्ष ने अग्निपथ वापसी को लेकर प्रदर्शन और हंगामा किया है। आज विधानमंडल परिषद में विपक्षी विधायकों की तरफ से धरना का कार्यक्रम रखा गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मंगलवार को ही इसका ऐलान कर दिया था। आज दोपहर 2 बजे से विधानमंडल परिसर में ही जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा के पास आरजेडी और वाम दलों के विधायक के धरने पर बैठेंगे।
इसके पहले मंगलवार को लगातार विपक्ष सदन में अग्निपथ योजना के ऊपर बहस कराए जाने की मांग पर अड़ा रहा। स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने जब इस मांग को खारिज कर दिया तो तेजस्वी यादव ने धरने के कार्यक्रम का ऐलान किया। आपको बता दें कि कल यानी मंगलवार की दोपहर 2 बजे भोजन अवकाश के बाद जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई थी तो विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया था। विपक्ष का कोई भी सदस्य सदन में मौजूद नहीं था। मंगलवार को स्पीकर से मुलाक़ात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा था कि केंद्र सरकार की अग्निपथ स्कीम नौजवानों के लिए सही नहीं है। इस योजना को लाकर केंद्र सरकार ने देश के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इसे लेकर हमलोगों ने राजभवन मार्च भी किया था। इसे लेकर महामहिम राज्यपाल फागू चौहान से भी मिले थे। हम चाहते है कि लोकतंत्र के इस मंदिर में इस पर चर्चा हो और सरकार अपनी बातें रखे। लेकिन सदन में यह कहा जाता है कि यह बिहार का मामला नहीं है केंद्र का मामला है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दो दिनों से हम यही मांग कर रहे हैं, यह हम सबका अधिकार भी है। नियम के अनुसार सदन में इस पर चर्चा होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि कई लोगों पर मुकदमा हुआ है वही कई कोचिंग सेंटरों को तबाह किया जा रहा है। हम भी मानते हैं कि हिंसा नहीं होनी चाहिए हिंसा से कोई रास्ता नहीं निकल सकता। लेकिन लोगों में इस योजना को लेकर घोर निराशा थी।
तेजस्वी ने कहा कि जिन लोगों पर मुकदमा हुआ वे किनके बच्चे हैं। सब भारत मां के बच्चे हैं। जो देश की सेवा करना चाहते हैं। विपक्ष पर हमला बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यदि अग्निपथ स्कीम इतना ही पसंद है तो यह सिर्फ देश के सैनिक पर ही क्यों लागू रहा है यह स्कीम अधिकारियों पर क्यों नहीं लागू होता। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि हमसभी को विधानसभा अध्यक्ष से बड़ी उम्मीद थी। जब वे आसन पर बैठे होते है तो वे किसी दल के नेता नहीं होते है। सदन में विपक्ष की संख्या कम नहीं है हमें पांच मिनट का समय ही अपनी बात रखने के लिए देते तो अच्छा रहता।