PATNA : पटना मेट्रो से जुड़े कार्यों का अगले चार सालों में पूरा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि प्रायोरिटी कॉरिडोर जो कि राजेन्द्र नगर स्टेशन से आईएसबीटी तक है, उसे साढ़े तीन साल में चालू करने का लक्ष्य है. जिसमें कुल 26 स्टेशन हैं, जिसमें 13 एलिवेटेड और 13 अंडरग्राउंड बनेंगे।
गौरतलब है कि पटना मेट्रो के दो स्टेशनों के बीच की दूरी औसतन डेढ़ किलोमीटर तय की गई है. जानकारी के अनुसार मेट्रो निर्माण में 60 फीसदी अंडरग्राउंड निर्माण होना है, इसलिये कॉरिडोर के दोनों तरफ 20-20 मीटर की दूरी में नये निर्माण के लिये पीएमआरसीएल से एनओसी लेने का निर्णय किया गया है। इससे इन क्षेत्रों में अधिक गहराई तक पाइलिंग होने वाले भवनों की स्वीकृति में पूरी जांच के बाद ही निर्माण की स्वीकृति दी जा सकेगी।
इससे बड़े भवन निर्माण परियोजनाओं में अड़ंगा लग सकता है जिसके लिए पहले से ही कई स्तरों पर एनओसी की व्यवस्था से मल्टी स्टोरेज भवनों की निर्माण गति धीमी है। नई व्यवस्था से इस पर और असर पड़ सकता है। यही नहीं, एलाइनमेंट सामान्यतया पहले से बनी सड़कों के इर्द-गिर्द है। ऐसे में नये सिरे से सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिये भी एनओसी लेनी पड़ेगी।
हम आपको बता दें कि बिहार सरकार ने महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर कई अहम फैसले पटना मेट्रो के संदर्भ में लिए हैं, जिनके अनुसार सार्वजनिक वाहनों में लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और इमरजेंसी बटन लगेगा, ताकि मुसीबत में उस वाहन में सफर कर रही महिला या लड़की की तुरंत मदद की जा सके। यह पूरी व्यवस्था एक कंट्रोल कमांड सेंटर के अंतर्गत काम करेगी। यानी वाहन में लगे उपकरणों के जरिए मुसीबत की सूचना कमांड सेंटर तक पहुंचेगी, और वहां से वाहन को तत्काल ट्रैक करके शिकायत करने वाले तक सहायता पहुंचाई जाएगी।
मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उक्त बातों पर भी मोहर लगा दी गई है. परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक ये उपकरण ओला, उबर समेत सभी तरह की भाड़े पर चलने वाली टैक्सियों और सार्वजनिक बसों में लगेंगे। शुरुआत राजधानी पटना से होने की बात है। फिर इसके दायरे में बारी-बारी से प्रदेश के दूसरे शहर भी आएंगे।