PATNA : बिहार में पिछले दिनों एसपी, डीआईजी और आईजी रैंक के आईपीएस अधिकारियों को प्रोन्नति दी गई है। लेकिन, इस बार सबसे बड़ी बात यह रही की किसी भी एडीजी रैंक के सीनियर अधिकारियों को डीजी ( महानिदेशक) रैंक में प्रोन्नति नहीं मिल पाई है। वहीं,इसके बाद प्रशासनिक महकमे में इस बात की चर्चा तेज है क, आखिरकार वह क्या वजह है जिसके कारण एडीजी रैंक के अधिकारियों को प्रोन्नति नहीं मिल पाई है।
दरअसल, वर्तमान में राज्य के अंदर डीजी रैंक के अधिकारियों की संख्या 12 है। जिसमें 5 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसके साथ ही राज्य में डीजी रैंक के कैडर पदों की संख्या 8 है जो सभी भरे हुए हैं। यही मुख्य वजह है कि, जब राज्य के अंदर निर्धारित डीजी रैंक के अधिकारियों के पद खाली नहीं है तो फिर इन्हें प्रोन्नति किस तरह से दिया जाए। इसके साथ ही जो पद हैं उनके खाली होने में अभी समय हैं। ऐसे में 1992 और 1993 बैच के एडीजी अधिकारियों को इस बार जनवरी 2023 में प्रोन्नति नहीं मिल पाई है।
बता दें कि, इस बार जिन एडीजी रैंक के अधिकारियों के को प्रोन्नति नहीं मिल पाई है उसमें 1992 बैच के आधिकारी राजगीर पुलिस अकादमी के निदेशक भृगु श्रीनिवासन का शामिल है। इसके अलावा 1993 बैच के चार अधिकारी में एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी ( वायरलेस) सुनील कुमार झा, एडीजी (सीआईडी) जितेंद्र कुमार और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे एडीजी अरविंद कुमार का नाम शामिल है।
बताया जा रहा है कि, इन लोगों को प्रोन्नति तभी मिलेगा जब डीजी रैंक के अधिकारी रिटायर होंगे। हालांकि इस बार डीजी रैंक के 4 अधिकारी रिटायर हो रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद इन अधिकारियों को अधिक फायदा नहीं होने वाला है। क्योंकि, रिटायर्ड होने वाले चार अधिकारियों में से तीन अधिकारी पहले ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और इनके रिटायर्ड होने से बिहार का कोटा खाली नहीं होने वाला है।
गौरतलब हो कि, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे तीन अधिकारियों में शीलवर्धन सिंह 31 अगस्त 2023 को रिटायर हो रहे हैं। जबकि ए.सीमा राजन 28 फरवरी 2023 को रिटायर हो रहे हैं। इसके साथ ही साथ मनमोहन सिंह 31 जुलाई 2023 को रिटायर हो रहे। इसके अलावा बिहार में तैनात सिविल डिफेंस के डीजी अरविंद पांडे 30 जून 2023 को रिटायर हो रहे हैं। लेकिन, उनके स्थान पर खाली हुई सीट पर 1991 बैच की एडीजी प्रीता वर्मा की प्रोन्नति होगी जो अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रही हैं। ऐसे में बिहार में तैनात एडीजी अधिकारियों को कोई फायदा नहीं दिख रहा है।