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1st Bihar Published by: Updated Tue, 25 Aug 2020 10:57:00 AM IST
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PATNA : रालोसपा के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि बिहार की लगभग 60 से 70% आबादी गांव देहात में निवास करती है और साधन हीन गरीब तबके के लोगों की स्वास्थ्य व्यवस्था की देखभाल और ख्याल बिहार के ऐसे ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा किया जाता है.
बिहार में इस तरह के लगभग 400000 ग्रामीण चिकित्सक हैं. वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में इन ग्रामीण चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा गया था कि बिहार सरकार की राज्य स्वास्थ्य समिति और एनआईओएस पटना के संयुक्त तत्वाधान में इन चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण में पास होने वाले चिकित्सकों को स्वास्थ्य सेवा में नौकरी दिया जाएगा. पहला बैच जुलाई 2018 में शुरू किया गया और प्रशिक्षण के उपरांत जब परीक्षा ली गई तो लगभग 16200 ग्रामीण चिकित्सक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए. दूसरा बैच जुलाई 2019 में शुरू हुआ और इस बैच की परीक्षा भी नहीं ली गई है.
पूरा विश्व और बिहार भी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है. बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही स्ट्रेचर पर है. इस महामारी से निपटने के लिए बिहार सरकार ने आशा आंगनबाड़ी सेविकाओं तथा शिक्षकों को लगाया है जिन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में विशेष जानकारी नहीं है. इस विपरीत परिस्थिति में प्रशिक्षण के बाद परीक्षा में उत्तीर्ण लगभग 16200 प्रशिक्षित ग्रामीण शिक्षकों को कोरोना वॉरियर्स के रूप में लगाया जा सकता था लेकिन अन्य मामलों की तरह सरकार इस मामले में भी गंभीर नहीं है. ऐसे चिकित्सकों को वर्षों से बार-बार ठगा गया है. बिहार सरकार और खासकर माननीय मुख्यमंत्री को अपना वादा निभाना चाहिए और इन चिकित्सकों के साथ न्याय करना चाहिए. अगर बिहार की सरकार उनके साथ न्याय नहीं करती है तो हम इनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे और इनके हर विरोध में इनका साथ देंगे.