PATNA : टाटा ग्रुप की विरासत को अब नोएल टाटा संभालेंगे। टाटा ट्रस्ट ने नोएल टाटा को नया चेयरमैन बनाने के फैसले पर मुहर लगा दी है। इससे पहले टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा थे।
रतन टाटा का देहांत हो गया था। उन्होंने किसी को अपना उत्तराधिकारी नहीं नियुक्त किया था। टाटा ग्रुप की फिलहाल सबसे बड़ी कंपनी टाटा संस है। इसके चेयरमैन एन चंद्रशेखरन हैं। लेकिन, टाटा ट्रस्ट इससे भी ऊपर है, जिसकी जिम्मेदारी नोएल टाटा संभालेंगे।
दरअसल, रतन टाटा के देहांत के बाद टाटा ट्रस्ट के बोर्ड को सार्वजनिक धर्मार्थ संस्था के रूप में मौजूदा ट्रस्ट्रियों में से किसी एक को नया चेयरमैन बनाना था। बोर्ड ने यह जिम्मेदारी नोएल टाटा को दी है। नोएल इससे पहले सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। इन ट्रस्ट का कुल मिलाकर टाटा संस में 66 फीसदी की बड़ी हिस्सेदारी है। उन्हें निर्विरोध टाटा ट्रस्ट का नया चेयरमैन चुना गया है।
मालुम हो कि नोएल टाटा रिश्ते में रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। वह रतन टाटा के पिता नवल टाटा और सिमोन टाटा की संतान हैं। नोएल फिलहाल टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रेसिडेंट और नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। नोएल पिछले चार दशक से टाटा ग्रुप में अलग-अलग जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। वह टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल हैं। ट्रेंट, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन में नोएल टाटा प्रेसिडेंट और टाटा स्टील और टाइटन कंपनी लिमिटेड में वाइस-प्रेसिडेंट के रूप में शामिल हैं।
बता दें कि टाटा ट्रस्ट की नींव नोएल और रतन के परदादा जमशेदजी टाटा ने 1892 में रखी थी। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस की 66 फीसदी की हिस्सेदारी है, जो 150 साल से अधिक पुराने टाटा ब्रांड के तहत अलग-अलग फर्मों की होल्डिंग कंपनी है। इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी हमेशा से टाटा परिवार के ही सदस्य ने ही संभाली।